नई दिल्ली, पीटीआई। देश के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को जजों की नियुक्ति करने वाली जजों द्वारा बनी कलेजियम प्रणाली का बचाव करते हुए कहा कि कोई प्रणाली पूर्ण नहीं होती, लेकिन यह हमारे पास उपलब्ध सबसे बेहतरीन प्रणाली है। कलेजियम प्रणाली केंद्र सरकार और न्यायपालिका के बीच विवाद का एक प्रमुख वजह रही है। एक कार्यक्रम में चीफ जस्टिस ने कहा कि यदि न्यायपालिका को स्वतंत्र रहना है तो इसे बाहरी प्रभावों से बचाना होगा।
हर प्रणाली नहीं होती है पूर्ण
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हर प्रणाली पूर्ण नहीं होती, लेकिन यह सबसे बेहतरीन प्रणाली है, जिसे हमने विकसित किया है। लेकिन मकसद न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सुरक्षित करना था, जो एक विशेष बात है। अगर न्यायपालिका को स्वतंत्र रखना है तो हमें न्यायपालिका को बाहरी प्रभावों से अलग रखना होगा।
कानून मंत्री किरण रिजिजू ने जाहिर की थी नाखुशी
सुप्रीम कोर्ट की कलेजियम प्रणाली को लेकर कानून मंत्री किरण रिजिजू की ओर से नाखुशी जताने पर भी चीफ जस्टिस ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि धारणाओं में अंतर होने में क्या गलत है? लेकिन, मुझे अलग-अलग धारणाओं से एक मजबूत संवैधानिक अगुआ की भावना के साथ निपटना होगा। मैं इन मुद्दों में कानून मंत्री से नहीं उलझना चाहता, हम अलग-अलग धारणा रखने के लिए बाध्य हैं।
कलेजियम प्रणाली के खिलाफ रिजिजू रहे हैं काफी मुखर
कलेजियम प्रणाली के खिलाफ रिजिजू काफी मुखर रहे हैं और वह एक बार इसे 'संविधान के परे' की चीज बता चुके हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि उन पर सरकार से इस बात के लिए कोई दबाव नहीं है कि मामलों में किस तरह से निर्णय लिया जाए। उन्होंने कहा कि मैं 23 सालों से जज हूं, लेकिन किसी ने कभी मुझसे यह नहीं कहा कि मामले में किस तरह निर्णय लेना है। यहां सरकार से कोई दबाव नहीं पड़ा।
न्यायापालिका पर कोई नहीं है दबाव
चुनाव अयोग का फैसला इस बात का प्रमाण है कि न्यायापालिका पर कोई दबाव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में फैसला दिया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सलाह पर की जाएगी जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष और देश के चीफ जस्टिस शामिल होंगे।
आदर्श है कलेजियम प्रणाली: पूर्व सीजीआइ
देश के पूर्व चीफ जस्टिस यूयू ललित ने शनिवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट और देश के हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए कलेजियम प्रणाली 'आदर्श व्यवस्था' है। देश के 49वें चीफ जस्टिस के पद से आठ नवंबर, 2022 को सेवानिवृत्त हुए जस्टिस ललित ने यह भी कहा कि न्यायपालिका, कार्यपालिका से पूरी तरह स्वतंत्र है।
शार्ष अदालत द्वारा की जाती है सिफारिश
एक कार्यक्रम में जस्टिस ललित ने कहा कि कलेजियम प्रणाली ऐसी संस्था को जजों की नियुक्ति का भार सौंपती है जो 'जमीनी स्तर' पर जजों के कामकाज की निगरानी करती है और सलाह के बाद शीर्ष अदालत द्वारा सिफारिश की जाती है। उन्होंने कहा कि एक जज के नाम की सिफारिश करते हुए सिर्फ उनका कामकाज नहीं बल्कि अन्य जजों के उनके प्रति विचार, आइबी की रिपोर्ट भी प्रक्रिया में शामिल की जाती है और नियुक्ति की नई प्रक्रिया सिर्फ कानून द्वारा मान्य तरीके से ही लाई जा सकती है।