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    स्वायत्तता के लिए महाविद्यालयों को अब नहीं करना होगा दस साल का इंतजार, UGC ने नियमों में किए कई अहम बदलाव

    By Jagran NewsEdited By: Shashank Mishra
    Updated: Sun, 16 Apr 2023 12:15 AM (IST)

    स्वायत्तता के लिए महाविद्यालयों को अब नहीं करना होगा दस साल का इंतजार। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने स्वायत्तता के नियमों में किए कई अहम बदलाव। भारतीय ज्ञान प्रणाली योग पर्यावरण जैसे विषय पढ़ाने वाले संस्थानों को मिलेगी छूट।

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    भारतीय ज्ञान प्रणाली, योग, पर्यावरण जैसे विषय पढ़ाने वाले संस्थानों को मिलेगी छूट

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। उच्च शिक्षा की पहुंच को बढ़ाने की मुहिम में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने महाविद्यालयों को स्वायत्तता देने से जुड़े नियमों में कई अहम बदलाव किए है। जिसमें महाविद्यालयों को स्वायत्तता के लिए अब अपनी स्थापना के दस वर्ष पूरे होने का इंतजार नहीं करना होगा।

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    बल्कि वह इसके पहले भी अब वह यह स्वायत्तता हासिल कर सकेंगे बशर्ते वह भारतीय ज्ञान प्रणाली, योग, रक्षा अध्ययन, पर्यावरण व कौशल विकास जैसे कोर्सों को संचालित करते हो। इतना ही नहीं, स्वायत्तता के लिए नैक ( राष्ट्रीय प्रत्यायन एवं मूल्यांकन परिषद) की अनिवार्य रैकिंग योग्यता से भी छूट हासिल कर सकेंगे।

    उच्च शिक्षण संस्थान तैयार करने पर जोर दिया गया

    यूजीसी ने यह कदम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल के क्रम में उठाया है। जिसमें उच्च शिक्षा के दायरे को बढ़ाने के साथ ही सभी जिलों में कम से कम एक ऐसा उच्च शिक्षण संस्थान तैयार करने पर जोर दिया गया है, जहां सभी विषयों की गुणवत्ता पूर्ण तरीके से पढ़ाई हो सके। इस दौरान अलग-अलग पाठ्यक्रमों को संचालित करने वाले कई महाविद्यालयों को एक साथ जोड़ने की भी सिफारिश की गई है।

    इसके साथ ही इन संस्थानों को कुछ इस तरह से तैयार करने की भी सिफारिश की गई है, ताकि वह स्थानीय जरूरतों को समझते हुए नए-नए कोर्स तैयार कर सकें और युवाओं के पलायन को भी थाम सकें। माना जा रहा है कि यूजीसी की इस पहल से सभी जिलों में बहुविषयक स्वायत्त उच्च शिक्षण संस्थान तैयार होंगे जो अपनी जरूरत के हिसाब से कोर्स तैयार कर सकेंगे।

    वैसे भी यूजीसी के नियमों के तहत सिर्फ स्वायत्त संस्थान ही यूजीसी के मानकों के तहत बगैर किसी पूर्व अनुमति के ही कोर्स शुरू कर सकते हैं। इनमें डिप्लोमा और सर्टिफिकेट जैसे कोर्स शामिल होंगे। जबकि स्नातक या स्नातकोत्तर कोर्स भी महाविद्यालय की अकादमिक परिषद से अनुमति लेकर शुरू कर सकते हैं।