युवाओं को कुशल बनाने में ठंडा रुख, 28 राज्यों ने नहीं बनाई अप्रेंटिसशिप काउंसिल
युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देने के लिए केंद्र सरकार ने साल 2019 में नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रमोशन स्कीम (एनएपीएस) शुरू की। राज्यों को स्टेट अप्रेंटिसशिप काउंसिल और स्टेट इम्प्लीमेंटेशन कमेटी का गठन करना था। हालांकि अधिकतर राज्यों का रुख ठंडा बना हुआ है। जानकारी के अनुसार अब तक 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने काउंसिल का गठन नहीं किया है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कई रिपोर्ट सामने आ चुकी हैं और विशेषज्ञ भी लगातार कह रहे हैं कि कौशल प्रशिक्षण की योजनाओं के साथ ही युवाओं को ऑन जॉब ट्रेनिंग दिलाकर उद्योगों की आवश्यकता के अनुरूप व्यावहारिक प्रशिक्षण देना होगा। इसके लिए ही सरकार ने अप्रेंटिस एक्ट 1961 में संशोधन करते हुए 2019 में नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रमोशन स्कीम (एनएपीएस) शुरू की और वर्ष 2023 में आंशिक वजीफे का प्रविधान करते हुए दूसरा चरण लागू किया।
इसे सफलतापूर्वक लागू करने के लिए कानून के मुताबिक राज्यों को स्टेट अप्रेंटिसशिप काउंसिल और स्टेट इम्प्लीमेंटेशन कमेटी का गठन करना था, लेकिन अधिकतर राज्यों का रुख ठंडा बना हुआ है। केंद्र सरकार के आग्रह के बावजूद अब तक 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने काउंसिल का गठन नहीं किया है।
केंद्र सरकार चला रही नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रमोशन स्कीम
नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रमोशन स्कीम केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2016 से चलाई जा रही है, लेकिन मोदी सरकार ने कौशल विकास को प्राथमिकता में रखते हुए जब अलग से कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय बनाया तो अप्रेंटिस एक्ट 1961 में संशोधन करते हुए योजना को वित्तीय वर्ष 2019-20 में अप्रेंटिसशिप के लिए औद्योगिक प्रतिष्ठानों को वित्तीय प्रोत्साहन की व्यवस्था करते हुए अभ्यर्थियों की संख्या का लक्ष्य 2.3 लाख से बढ़ाकर 50 लाख कर दिया गया। मगर, प्रयासों के अपेक्षा अनुरूप परिणाम नहीं मिल सके।
पंजीकरण अभ्यर्थियों को दिया जा रहा वजीफा
- इसके बाद युवाओं को इसके प्रति प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार ने योजना में डीबीटी को जोड़ते हुए वर्ष 2023-24 में योजना का दूसरा चरण शुरू किया।
- पंजीकृत अभ्यर्थियों को आंशिक वजीफा देने का प्रविधान किया गया। केंद्र सरकार तो अपने प्रयास करती रही, लेकिन राज्यों का रुख इस ओर ठंडा ही बना रहा। कुछ माह से चल रही समीक्षा में पाया गया कि योजना को धरातल पर सफल बनाने के लिए जो संस्थागत ढांचा चाहिए, वह है ही नहीं।
- कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रेंटिस एक्ट में प्रविधान होने के बावजूद 36 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में से सिर्फ मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल ने ही स्टेट अप्रेंटिसशिप काउंसिल का गठन किया है।
- 28 राज्य अभी तक नहीं बना सके। इसी तरह योजना पर अमल कराने और समयबद्ध निगरानी के लिए स्टेट इम्प्लीमेंटेशन कमेटी भी बनाने के लिए कहा गया, लेकिन 11 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक इसका भी गठन नहीं किया है।
- इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि युवाओं से जुड़े इतने महत्वपूर्ण प्रयासों को लेकर राज्य सरकार का क्या रुख है। हालांकि, मंत्रालय की ओर से प्रयासों को और गति दी गई है।
- इसके लिए समीक्षा बैठकें कर राज्यों से कहा जा रहा है कि काउंसिल और कमेटी का गठन जल्द से जल्द करें, ताकि युवाओं को इसका लाभ देशभर में समान रूप से दिलाकर उन्हें अधिक से अधिक संख्या में रोजगार के योग्य बनाया जा सके।
इन राज्यों ने नहीं बनाई स्टेट अप्रेंटिसशिप काउंसिल
बिहार, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, दिल्ली, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, लद्दाख, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, दादरा एवं नगर हवेली, अरुणाचल प्रदेश, असम, मिजोरम, मणिपुर, मेघालय, नगालैंड, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश, अंडमान-निकोबार, कर्नाटक, केरल, लक्षद्वीप, पुदुचेरी और तमिलनाडु।
इन्होंने नहीं बनाई स्टेट इम्प्लीमेंटेशन कमेटी
बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, आंध्र प्रदेश, अंडमान-निकोबार, कर्नाटक और लक्षद्वीप।
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