सीएम एन बीरेन सिंह ने 10 राजनीतिक दलों के साथ की उच्चस्तरीय बैठक, बोले- मणिपुर हिंसा को लेकर हुईं रचनात्मक चर्चाएं
मणिपुर में मई 2023 से जारी जातीय हिंसा को रोकने के लिए सीएम एन बीरेन सिंह ने 10 राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की है जिसमें मणिपुर हिंसा मामले में रचनात्मक चर्चाएं हुईं। यह बैठक राज्य की चुनौतियों से निपटने और राज्य की भलाई के लिए सामूहिक रूप से काम करने की एकजुट प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।
पीटीआई, इंफाल। Manipur Violence: मणिपुर में मई 2023 से जारी जातीय हिंसा को रोकने के लिए सीएम एन बीरेन सिंह ने 10 राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की है। उन्होंने कहा कि रविवार को सीएम सचिवालय में बैठक के दौरान रचनात्मक चर्चा हुई।
बैठक के बाद सीएम बीरेन सिंह ने क्या कहा?
उन्होंने बैठक के बाद अपने एक्स पोस्ट में बताया कि मणिपुर में मौजूदा स्थिति पर चर्चा के लिए सीएम सचिवालय में 10 राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें मणिपुर हिंसा मामले में रचनात्मक चर्चाएं हुईं। यह बैठक राज्य की चुनौतियों से निपटने और राज्य की भलाई के लिए सामूहिक रूप से काम करने की एकजुट प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।
Chaired a meeting with representatives of the 10 political parties at my secretariat to address the current situation in Manipur.
— N.Biren Singh (@NBirenSingh) January 21, 2024
Constructive discussions were held, reflecting a united commitment to navigate challenges and work collectively for the well-being of our state. pic.twitter.com/xrIIn5C18V
बैठक में कांग्रेस समेत 10 दलों के नेता हुए शामिल
वहीं, बैठक के बाद कांग्रेस विधायक दल के नेता ओकराम इबोबी ने कहा कि बैठक में सभी राजनीतिक दलों ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि वे प्रधानमंत्री से मिलने का समय लें और राज्य में कई माह से जारी इस हिंसा के संकट को समाप्त करने के लिए हस्तक्षेप की मांग करें। उन्होंने कहा कि लोगों के जीवन और संपत्तियों की रक्षा करना राज्य सरकार का कर्तव्य है।
अब तक 180 से अधिक लोगों की मौत
मालूम हो कि मणिपुर पिछले साल मई से जातीय हिंसा से दहल रहा है। राज्य में जारी इस हिंसा से अब तक 180 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या करीब 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी जिसमें नागा और कुकी शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।
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