Godhra Clean Cheat: गोधरा हिंसा पर पीएम मोदी को क्लीन चिट मिलने पर अनुराग ठाकुर ने कहा, सत्य की जीत हुई
गोधरा हिंसा में नरेन्द्र मोदी समेत 64 लोगों को सुप्रीम कोर्ट ने क्लीन चीट दे दिया है। एसआइटी की रिपोर्ट को चुनौती देने वाली जाकिया जाफरी की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि सत्य की जीत हुई है।
नई दिल्ली, एएनआइ। केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने गोधरा हिंसा पर विशेष जांच दल (एसआइटी) की रिपोर्ट को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना की है। साथ ही ठाकुर ने कहा कि सच्चाई की जीत होती है, सत्यमेव जयते। ठाकुर ने ट्वीट कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जाकिया जाफरी की याचिका को खारिज कर दिया और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को क्लीन चीट दे दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जाफरी की याचिका टिकने के योग्य नहीं है।
कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की विधवा पत्नी जाकिया जाफरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। दरअसल एहसान 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद के गुलमर्ग सोसाइटी में हुई हिंसा के दौरान मारे गए थे जिसमें 69 और भी लोग थे। जाकिया जाफरी ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत 64 लोगों के खिलाफ एसआइटी की क्लीन चीट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि जाफरी की याचिका टिकने योग्य नही है। मामले पर विचार करते हुए पीठ ने कहा कि 8 फरवरी 2012 को एसआइटी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट और मजिस्ट्रेट के फैसले को बरकरार रखते हुए अपीलकर्ता की याचिका को खारिज करते हैं। वहीं पीठ ने कहा कि 9 दिसम्बर 2021 को सुरक्षित रखे गए फैसले में कोर्ट एसआइटी की रिपोर्ट को मानता है और जाफरी की याचिका को खारिज करता है।
जाफरी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बेंच से कहा कि जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और सीटी रविकुमार ने तत्कालीन मुख्यमंत्री की संलिप्तता पर कोई बहस नहीं की। इससे यह जान पड़ता है कि वे किसी बड़े षड़यंत्र में शामिल हैं, यहां तक कि एसआइटी ने भी इसकी जांच नही की।
वहीं एसआइटी ने जाफरी की याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि शिकायतकर्ता के पीछे सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की साजिश है। दरअसल सीतलवाड़ ने एसआइटी की बंद रिपोर्ट को फिर से खोलने से इंकार करने वाले गुजरात हाई कोर्ट के 2017 के आदेश को चुनौती दी थी। जबकि गुजरात हाई कोर्ट ने एसआइटी की क्लोजर रिपोर्ट को ही स्वीकार करते हुए मजिस्ट्रेट के आदेश को बरकरार रखा था।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।