'एक दिन ताजमहल और लाल किले पर भी कर देंगे वक्फ संपत्ति का दावा', केरल हाई कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
केरल हाई कोर्ट ने मुनंबम को वक्फ संपत्ति घोषित करने को केरल वक्फ बोर्ड का जमीन हड़पने का हथकंडा बताया है। कोर्ट ने विवादित भूमि के स्वामित्व का पता लगाने के लिए जांच आयोग नियुक्त करने के सरकारी आदेश को बरकरार रखा। पीठ ने कहा कि अनिवार्य प्रक्रिया और वक्फ अधिनियम के अनुपालन के बिना संपत्ति को वक्फ के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता। इस मनमानी घोषणा से सैकड़ों परिवारों की रोजी-रोटी प्रभावित हुई है, और कोर्ट ने 70 साल बाद ऐसी घोषणा करने पर वक्फ बोर्ड की आलोचना की।

केरल हाई कोर्ट ने सुनाया एतिहासिक फैसला
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केरल हाई कोर्ट ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि मुनंबम को वक्फ संपत्ति के रूप में अधिसूचित करना केरल वक्फ बोर्ड का जमीन हड़पने का हथकंडा था। इसी के साथ अदालत ने विवादित भूमि के स्वामित्व का पता लगाने के लिए जांच आयोग नियुक्त करने के सरकारी आदेश को बरकरार रखा।
जस्टिस सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और श्याम कुमार वीएम की पीठ ने कहा कि अनिवार्य प्रक्रिया और वक्फ अधिनियम 1954 और 1955 के अनुपालन के अभाव में संबंधित संपत्ति को कभी वक्फ संपत्ति के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता। विवादित भूमि को वक्फ के रूप में अधिसूचित करना वक्फ अधिनियम 1954 और 1995 के प्रविधानों के विपरीत है।
इस कदम से सैकड़ों परिवारों की रोजी-रोटी प्रभावित हुई है, जिन्होंने वक्फ संपत्ति की अधिसूचना से दशकों पहले जमीन खरीदी थी। यदि वक्फ की ऐसी मनमानी घोषणा को न्यायिक मंजूरी मिल जाती है, तो कल ताजमहल, लाल किला और राज्य विधानमंडल परिसर सहित कोई भी इमारत, यहां तक कि इस अदालत की इमारत को भी केरल वक्फ बोर्ड द्वारा वक्फ संपत्ति घोषित किया जा सकता है।
जांच आयोग की नियुक्ति को बरकरार रखते हुए पीठ ने कहा कि राज्य सरकार कानून के अनुसार समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए स्वतंत्र है। देरी के पहलू पर अदालत ने कहा कि केरल वक्फ बोर्ड द्वारा 70 साल तक इंतजार करने और अचानक यह घोषणा करने का कोई कारण नहीं है कि संबंधित संपत्ति वक्फ है। न्यायालय संविधान के तहत कार्य करने के लिए बाध्य है और वह भारत जैसे पंथनिरपेक्ष देश में शक्ति के काल्पनिक और देरी से प्रयोग की अनुमति नहीं दे सकता।
क्या है मामला
एर्नाकुलम जिले के चेराई और मुनंबम गांव के निवासियों ने आरोप लगाया है कि वक्फ बोर्ड उनकी भूमि और संपत्तियों पर अवैध रूप से दावा कर रहा है, जबकि उनके पास पंजीकृत दस्तावेज और भूमि कर भुगतान की रसीदें हैं। केरल सरकार ने पिछले साल नवंबर में विवादित क्षेत्र में भूमि स्वामित्व का पता लगाने के लिए हाई कोर्ट के पूर्व कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सीएन रामचंद्रन नायर की अध्यक्षता में एक आयोग नियुक्त किया था।
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