'वकील और जज सुनिश्चित करें कि न्याय प्रणाली हर नागरिक के लिए सुलभ हो', वियतनाम में बोले CJI गवई
प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई ने वकीलों और न्यायाधीशों से न्याय प्रणाली को मजबूत करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि न्याय की पहुंच देश के दूरदराज के इलाकों तक होनी चाहिए। उन्होंने प्रशासनिक पदों पर भर्ती में सकारात्मक कार्रवाई को पूरी तरह से लागू करने की बात कही। गवई ने वकीलों से महिलाओं को नियुक्त करने में संकोच न करने का आग्रह किया।

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई (फाइल)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई ने शनिवार को कहा कि वकीलों और न्यायाधीशों की यह जिम्मेदारी है कि वे न्याय प्रणाली को मजबूत करें। उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इसकी पहुंच सिर्फ महानगरों तक ही सीमित न रहे, बल्कि देश के दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए भी सुलभ हो।
वियतनाम के हनोई में आयोजित ''ला एशिया'' सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि न्यायाधीश अपने निर्णयों में जिन सिद्धांतों को व्यक्त करते हैं, वे न्यायालय की प्रशासनिक नीतियों में भी परिलक्षित हों।
हाशिये पर पड़े समुदायों को प्रशासनिक नियुक्तियों में उचित हिस्सा मिले
उन्होंने कहा, मैं यह बताना चाहता हूं कि जब मैंने मई में भारत के प्रधान न्यायाधीश का पदभार ग्रहण किया था, तो मेरी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक यह सुनिश्चित करना था कि न्यायालय में प्रशासनिक पदों की भर्ती में सकारात्मक कार्रवाई न केवल कागजों में, बल्कि पूरी तरह से लागू हो। मैंने निर्देश दिया कि हाशिये पर पड़े समुदायों को सभी प्रशासनिक नियुक्तियों में उनका उचित हिस्सा मिले और इन नीतियों को सुसंगत और पारदर्शी तरीके से लागू किया जाए।
गौतम बुद्ध, महात्मा गांधी और बीआर आंबेडकर द्वारा देखा गया समानता का सपना भारत के संविधान में निहित था और इसने उन लाखों लोगों के भाग्य का रुख मोड़ दिया, जो ऐतिहासिक रूप से हाशिये पर थे और अपने मूल अधिकारों से वंचित थे। उन्होंने कहा कि वकीलों को मातृत्व अवकाश या समय की कमी जैसी धाराणाओं के कारण महिलाओं को नियुक्त करने में संकोच नहीं करना चाहिए।
(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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