सीजेआइ ने इंटरनेट पर जजों की मौखिक टिप्पणियों की गलत व्याख्या के प्रति जताई चिंता
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने अदालती कार्यवाही के दौरान न्यायाधीशों की मौखिक टिप्पणियों को गलत तरीके से प्रस्तुत किए जाने पर चिंता जताई। उन्होंने एक घटना का जिक्र किया जहां जस्टिस के विनोद चंद्रन को सार्वजनिक टिप्पणी करने से रोका गया था ताकि गलत व्याख्या न हो। पीठ न्यायिक अधिकारियों की सेवा शर्तों से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई ने मंगलवार को अदालती कार्यवाही के दौरान न्यायाधीशों द्वारा की गई मौखिक टिप्पणियों को इंटरनेट पर गलत तरीके से प्रस्तुत किए जाने पर ¨चिंता व्यक्त की। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) एक वकील द्वारा उन पर जूता उछालने की कोशिश किए जाने की घटना के एक दिन बाद अदालत में एक सुनवाई के दौरान बोल रहे थे।
आरोपित वकील ने दावा किया था कि वह खजुराहो में विष्णु की मूर्ति की पुनस्र्थापना से संबंधित एक याचिका की सुनवाई के दौरान पिछले महीने सीजेआइ की टिप्पणी से नाखुश था। इस घटना की व्यापक निंदा हुई थी। जस्टिस गवई ने मंगलवार को हल्के-फुल्के अंदाज में एक किस्सा साझा किया। उन्होंने बताया कि उनके साथी न्यायाधीश के विनोद चंद्रन को पिछली सुनवाई के दौरान कुछ टिप्पणियां सार्वजनिक रूप से करने से रोका था, ताकि उनकी बातों की आनलाइन गलत व्याख्या न हो जाए।
'हमें नहीं मालूम कि इंटरनेट मीडिया पर क्या-क्या रिपोर्ट आ जाती'
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जस्टिस के विनोद चंद्रन को कुछ टिप्पणी करनी थी, मैंने उन्हें धीरज मोर के मामले की सुनवाई के दौरान ऐसा करने से रोक दिया। वरना, हमें नहीं मालूम कि इंटरनेट मीडिया पर क्या-क्या रिपोर्ट आ जाती। मैंने अपने विद्वान भाई से अनुरोध किया कि वह इसे केवल मेरे कानों तक ही सीमित रखें। जस्टिस गवई और जस्टिस चंद्रन की पीठ अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ द्वारा न्यायिक अधिकारियों की सेवा शर्तों, वेतनमान और करियर प्रगति से संबंधित मुद्दों पर दायर एक याचिका की सुनवाई कर रही थी।
भगवान विष्णु की सात फुट ऊंची मूर्ति के पुनर्निर्माण की याचिका ख़ारिज
इस याचिका में देशभर के निचले स्तर के न्यायिक अधिकारियों के करियर में ठहराव से संबंधित मुद्दों को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेजा गया था। सीजेआइ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मध्य प्रदेश में यूनेस्को विश्व धरोहर खजुराहो मंदिर परिसर के अंतर्गत आने वाले जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की सात फुट ऊंची मूर्ति के पुनर्निर्माण और पुनस्र्थापना के निर्देश देने संबंधी याचिका खारिज कर दी थी। इस याचिका पर सीजेआइ ने कहा था कि यह विशुद्ध रूप से प्रचार हित याचिका है। जाइए और स्वयं भगवान से कुछ करने के लिए कहिए। यदि आप कह रहे हैं कि आप भगवान विष्णु के प्रबल भक्त हैं, तो आप प्रार्थना और कुछ ध्यान भी कीजिए। अपनी टिप्पणियों की विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर हुई आलोचना पर ध्यान देते हुए प्रधान न्यायाधीश ने बाद में कहा था कि वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं।
सीजेआई कोर्ट में जूता फेकने की निंदा की
सीजेआई बीआर गवई की माता डा.कमल गवई एवं उनकी बहन कीर्ति गवई ने प्रधान न्यायाधीश पर कोर्ट में जूता फेंककर किए गए हमले की ¨निंदा की है। डा.कमल गवई ने कहा है कि भारतीय संविधान सभी को समान अधिकार देता है। लेकिन कुछ लोग कानून हाथ में लेकर ऐसा बर्ताव कर रहे हैं, जो देश के लिए अपमानजनक और अराजकता फैला सकता है। इस देश में किसी को भी ऐसा करने का अधिकार नहीं है। मैं सभी से निवेदन करती हूं कि लोगों के जो भी सवाल हैं, वे शांतिपूर्वक ढंग से पूछें। इसी प्रकार जस्टिस गवई की बहन कीर्ति ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश पर जो हमला हुआ, वह व्यक्तिगत नहीं, बल्कि संविधान पर हमला है। हमारा संविधान सबसे बड़ा है। हमारा कर्तव्य बनता है कि हम संविधान और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करें। ताकि आनेवाली पीढ़ी के सुरक्षित भारत दे सकें।
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