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    'IAS के बच्चों को...', आरक्षण में क्रीमी लेयर पर CJI गवई का बड़ा बयान

    Updated: Sun, 16 Nov 2025 06:40 PM (IST)

    मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने अनुसूचित जाति आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू करने की वकालत की। उन्होंने कहा कि एक IAS अधिकारी का बच्चा गरीब मजदूर के बच्चे के बराबर नहीं हो सकता। उन्होंने ओबीसी की तरह एससी में भी क्रीमी लेयर लागू करने की बात कही। गवई ने संविधान को समय के साथ बदलने वाला बताया और समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व को आवश्यक बताया। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय संविधान को दिया।

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    आरक्षण में क्रीमी लेयर पर CJI गवई का बड़ा बयान (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने रविवार को कहा कि वे अब भी इस बात के पक्ष में हैं कि अनुसूचित जाति (SC) के आरक्षण में भी क्रीमी लेयर यानी आर्थिक-सामाजिक रूप से आगे बढ़ चुके लोगों को आरक्षण से बाहर रखा जाए। उन्होंने कहा कि एक IAS अधिकारी के बच्चों को गरीब खेत मजदूर के बच्चों के बराबर नहीं माना जा सकता।

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    कार्यक्रम 'India and the Living Indian Constitution at 75 Years' में बोलते हुए CJI ने कहा कि जिस रह इंद्र साहनी केस में OBC के लिए क्रीमी लेयर का सिद्धांत लागू है, वही सिद्धांत SC पर भी लागू होना चाहिए। उन्होंने स्वीकार किया कि इस राय की काफी आलोचना हुई, लेकिन वे इसे सही मानते हैं।

    कब रिटायर होंगे CJI गवई?

    सीजेआई गवई ने मुस्कुराते हुए कहा कि जजों को आमतौर पर अपने फैसले समझाने की जरूरत नहीं होती और मेरे रिटायरमेंट में अब एक हफ्ता ही बचा है। CJI ने कहा कि बीते वर्षों में महिलाओं की समानता और उनके अधिकारों को लेकर समाज में सकारात्मक बदलाव आया है।

    उन्होंने बताया कि CJI बनने के बाद उनका पहला सार्वजनिक कार्यक्रम महाराष्ट्र के अमरावती में था और आखिरी कार्यक्रम भी आंध्र प्रदेश के अमरावती में हुआ, यह उनके लिए भावनात्मक संयोग है। उन्होंने याद दिलाया कि 2024 में उन्होंने राज्यों को सुझाव दिया था कि SC-ST में भी क्रीमी लेयर की पहचान कर उन्हें आरक्षण का लाभ न दिया जाए।

    सीजेआई गवई ने कहा कि संविधान स्थिर नहीं है। डॉ. बीआर अंबेडकर चाहते थे कि संविधान समय के साथ बदले, विकसित हो और समाज की जरूरतों के मुताबिक काम करे। उन्होंने कहा कि कुछ लोग संविधान में संशोधन की शक्तियों को ज्यादा बताते हैं, जबकि कुछ लोग इसे बहुत कठिन बताते हैं, दोनों तरफ की आलोचनाएं हमेशा से मौजूद रही हैं।

    CJI ने डॉ. अंबेडकर की बातों का दिया हवाला

    CJI गवई ने कहा कि अंबेडकर के संविधान-विमर्श वाले भाषण हर कानून के छात्र को पढ़ना चाहिए। अंबेडकर की बात का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि केवल समानता से प्रगति संभव नहीं है और केवल स्वतंत्रता से शक्तिशाली लोग कमजोरों पर हावी हो सकते हैं, इसलिए समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व तीनों जरूरी है।

    चीफ जस्टिस ने कहा कि संविधान की वजह से ही देश में दो SC राष्ट्रपति बने और आज की राष्ट्रपति एक ST समुदाय से हैं। उन्होंने भावुक होकर कहा कि अमरावती के एक साधारण नगर निगम स्कूल से पढ़कर वे देश के सर्वोच्च न्यायिक पद तक पहुंचे, यह संविधान की वजह से ही संभव हुआ।

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