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    किसी भी अदालत के फैसले को सीधे खारिज नहीं कर सकती विधायिका- CJI डीवाई चंद्रचूड़

    By AgencyEdited By: Mohd Faisal
    Updated: Sun, 05 Nov 2023 12:36 AM (IST)

    सीजेआई ने कहा एक विभाजनकारी रेखा यह है कि अदालत का फैसला आने पर विधायिका क्या कर सकती है और क्या नहीं कर सकती है। अगर किसी विशेष मुद्दे पर फैसला दिया जाता है और इसमें कानून में खामी का जिक्र किया जाता है तो विधायिका उस खामी को दूर करने के लिए नया कानून बना सकती है।

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    किसी भी अदालत के फैसले को सीधे खारिज नहीं कर सकती विधायिका- CJI डीवाई चंद्रचूड़

    पीटीआई, नई दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि विधायिका अदालत के फैसले में खामी को दूर करने के लिए नया कानून बना सकती है, लेकिन उसे सीधे खारिज नहीं कर सकती है।

    एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि न्यायाधीश इस पर गौर नहीं करते हैं कि जब वह मुकदमों का फैसला करेंगे तो समाज कैसी प्रतिक्रिया देगा। सरकार की विभिन्न शाखाओं और न्यायपालिका में यही फर्क है।

    विधायिका को दूर करने के लिए नया कानून बना सकती है- CJI

    सीजेआई ने कहा, 'एक विभाजनकारी रेखा यह है कि अदालत का फैसला आने पर विधायिका क्या कर सकती है और क्या नहीं कर सकती है। अगर किसी विशेष मुद्दे पर फैसला दिया जाता है और इसमें कानून में खामी का जिक्र किया जाता है तो विधायिका उस खामी को दूर करने के लिए नया कानून बना सकती है। विधायिका यह नहीं कह सकती कि फैसला गलत है और इसलिए हम फैसले को खारिज करते हैं।'

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    'किसी भी अदालत के फैसले को सीधे खारिज नहीं कर सकती विधायिका'

    उन्होंने कहा कि विधायिका किसी भी अदालत के फैसले को सीधे खारिज नहीं कर सकती है। न्यायाधीश मुकदमों का फैसला करते समय संवैधानिक नैतिकता का अनुसरण करते हैं न कि सार्वजनिक नैतिकता का। यह तथ्य कि न्यायाधीश निर्वाचित नहीं होते हैं, यह हमारी कमजोरी नहीं, बल्कि हमारी ताकत है।जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट एक साल में 80 मुकदमों पर फैसला सुनाता है। हमने इस साल कम-से-कम 72 हजार मुकदमों का निस्तारण किया है और अभी दो महीना बाकी है। इससे हमारे द्वारा किए जाने वाले कार्यों में अंतर समझ में आता है।

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    भारतीय क्रिकेट टीम को दी शुभकामनाएं

    उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में प्रवेश स्तर पर संरचनात्मक बाधाएं हैं। यदि समान अवसर उपलब्ध होंगे तो अधिक महिलाएं न्यायपालिका में आएंगी। प्रधान न्यायाधीश ने भारतीय क्रिकेट टीम को विश्व कप के लिए शुभकामना देते हुए कहा कि वह उन्हें प्रेरित करती है। उन्होंने कहा, मैंने भारतीय क्रिकेट टीम को आखिरी बार 2011 में विश्व कप जीतते देखा..मैं उसे शुभकामना देता हूं।

    जजों को सेवानिवृत्त होना चाहिए, ताकि नई पीढ़ी नया सिद्धांत बनाए

    प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि न्यायाधीशों को सेवानिवृत्त होना चाहिए, ताकि आने वाली पीढि़यां अतीत की गलतियों को उजागर करे और समाज के विकास के लिए कानूनी सिद्धांतों में बदलाव कर सकें।

    'अमेरिकी संविधान में न्यायाधीशों के लिए सेवानिवृत्ति की कोई उम्र नहीं'

    एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीजेआई ने कहा कि जहां अमेरिकी संविधान में न्यायाधीशों के लिए सेवानिवृत्ति की कोई उम्र नहीं है। वहीं, भारत में न्यायाधीश एक खास आयु के बाद सेवानिवृत्त हो जाते हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, यह मान कर कि जजों को सेवानिवृत्त नहीं होना चाहिए, यह उनकी अपनी अचूकता के संदर्भ में ''बहुत अधिक जिम्मेदारी'' होगी। हमने उस माडल का अनुसरण किया है, जहां न्यायाधीश एक उम्र के बाद सेवानिवृत्त हो जाते हैं।

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