Move to Jagran APP

सीजेआइ डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- शिक्षित लोग ही बेहतर निर्णय लेने वाले, यह कुलीन समझ खारिज करने की जरूरत

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की कुलीन समझ के ऐसे हर प्रारूप को खारिज किया जाना चाहिए कि शिक्षित लोग ही बेहतर निर्णय लेने वाले होते हैं। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि पहली मतदाता सूची को तैयार करना एक अहम कार्य था। फोटो- एएनआइ।

By AgencyEdited By: Sonu GuptaPublished: Sat, 03 Dec 2022 04:56 AM (IST)Updated: Sat, 03 Dec 2022 04:56 AM (IST)
सीजेआइ डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- शिक्षित लोग ही बेहतर निर्णय लेने वाले, यह कुलीन समझ खारिज करने की जरूरत
सीजेआइ कहा- शिक्षित लोग ही बेहतर निर्णय लेने वाले, यह कुलीन समझ खारिज करने की जरूरत। फोटो- एएनआइ।

नई दिल्ली, पीटीआइ। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की 'कुलीन समझ' के ऐसे हर प्रारूप को खारिज किया जाना चाहिए कि शिक्षित लोग ही बेहतर निर्णय लेने वाले होते हैं। आठवें डा. एलएम सिंघवी मेमोरियल लेक्चर में जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की अवधारणा सहभागी लोकतंत्र और व्यक्तियों के विचार से जुड़ी हुई है जिन्हें समाज ने अशिक्षित होने के नाते तिरस्कृत किया है, लेकिन उन्होंने जबर्दस्त राजनीतिक कौशल और स्थानीय समस्याओं के प्रति जागरूकता दिखाई है, जिसे शिक्षित भी नहीं समझ सकते।

loksabha election banner

वयस्क मताधिकार की शुरुआत क्रांतिकारी काम

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की शुरुआत ऐसे समय में एक क्रांतिकारी काम था जब 'परिपक्व' पश्चिमी लोकतंत्रों में ऐसा अधिकार महिलाओं, अश्वेत लोगों और श्रमिक वर्ग को दिया गया था। उन्होंने कहा कि इस अर्थ में हमारा संविधान एक नारीवादी दस्तावेज होने के साथ-साथ एक समतावादी सामाजिक रूप से परिवर्तनकारी दस्तावेज भी था। यह औपनिवेशिक और पूर्व-औपनिवेशिक विरासत से एक विराम और संविधान द्वारा अपनाया गया सबसे साहसिक कदम था जो वास्तव में भारतीय सोच का उत्पाद था।

पहली मतदाता सूची को तैयार करना एक अहम कार्य

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि पहली मतदाता सूची को तैयार करना एक अहम कार्य था, क्योंकि ज्यादातर (86 फीसदी) आबादी अशिक्षित थी और नया भारतीय गणराज्य विभाजन, युद्ध और अकाल की विभीषिका से जूझ रहा था। कार्यक्रम में उप-राष्ट्रपति जगदीप धनकड़ मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम को उपराष्ट्रपति और सीजेआइ के अलावा राज्यसभा सदस्य व वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति प्रो. सी. राजकुमार ने भी संबोधित किया।

प्रवासी श्रमिकों की पीड़ा पर भी करना चाहिए विचार

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि भारतीय निर्वाचन आयोग ने आज के समय में कई बार केवल एक मतदाता के लिए मतदान केंद्र स्थापित किये हैं। उन्होंने कहा कि प्रवासी श्रमिकों की पीड़ा पर भी विचार करना चाहिए जो अक्सर अपने चुनाव क्षेत्र में प्रभावी रूप से मतदान करने में सक्षम नहीं होते, क्योंकि उन्हें रोजी-रोजी के लिए अपना गृह नगर छोड़कर अन्यत्र जाना पड़ता है।

यह भी पढ़ें- जागरण प्राइम इन्वेस्टिगेशन: ट्यूबवेल के पानी में मिला लेड, यह हृदय, किडनी रोग और हाइपरटेंशन का कारण

यह भी पढ़ें- Fact Check: दक्षिण अफ्रीका से नहीं, लंदन के इनर टेंपल से गांधी ने की थी वकालत की पढ़ाई


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.