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    SC: 'अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग लोगों के लिए महत्वपूर्ण', सीजेआई ने इसे स्थाई बनाने पर दिया जोर

    By AgencyEdited By: Devshanker Chovdhary
    Updated: Fri, 28 Apr 2023 10:47 PM (IST)

    Supreme Court सुप्रीम कोर्ट ने 26 अगस्त 2022 को पहली बार अपनी कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग की थी। तत्कालीन सीजेआई एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ की कार्यवाही वेबकास्ट पोर्टल के माध्यम से लाइव-स्ट्रीम की गई थी। File Photo

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    'अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग लोगों के लिए महत्वपूर्ण'

    नई दिल्ली, पीटीआई। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को कहा कि अदालतों की कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग सुनिश्चित करके आम लोगों तक पहुंचना बेहद महत्वपूर्ण है और यह अब व्यक्तिगत पहल के बजाय मिशन बन चुका है। उन्होंने कहा कि देश के न्यायिक ढांचे में इसे स्थाई रूप से शामिल किया जाएगा। सीजेआई ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार इस परियोजना के लिए धन उपलब्ध करवाने में पूर्ण सहयोग कर रही है।

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    बता दें कि अब उच्च न्यायालयों को धन का प्रभावी और समुचित उपयोग सुनिश्चित करना होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस प्रोजेक्ट के लिए लगभग 2000 करोड़ रुपए की पहली किश्त जून में जारी हो जाएगी।

    दिल्ली उच्च न्यायालय में दो नए आईटी प्रोजेक्टों की शुरुआत

    मालूम हो कि सीजेआई दिल्ली उच्च न्यायालय में ई-प्रिजन प्लेटफॉर्म पर दो आईटी परियोजनाओ- 'डिजिटल कोर्ट फॉर कॉन्टेस्टेड ट्रैफिक चालान' और 'बेल ऑर्डर्स शेयरिंग मॉड्यूल' के वर्चुअल लॉन्चिंग के अवसर पर बोल रहे थे। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि उन्हें पता चला है कि सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग से देश भर के नागरिक न्यायिक कार्य की गंभीरता और इसमें शामिल इनपुट की गुणवत्ता को समझ पा रहे हैं। लाइव-स्ट्रीमिंग को पहले ही कई अदालतों में अपनाया जा चुका है। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट में संवैधानिक पीठ की सुनवाई में लाइव-स्ट्रीमिंग सुनिश्चित की जाती है

    सुप्रीम कोर्ट में पहली बार पिछले साल हुई लाइव स्ट्रीमिंग

    बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 26 अगस्त 2022 को पहली बार अपनी कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग की थी। तत्कालीन सीजेआई एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ की कार्यवाही वेबकास्ट पोर्टल के माध्यम से लाइव-स्ट्रीम की गई थी। देश की शीर्ष अदालत ने 2018 में संवैधानिक और राष्ट्रीय महत्व के मामलों की अदालती कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग की अनुमति देते हुए कहा था कि यह खुलापन "सूरज की रोशनी" की तरह है।