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    धर्मग्रंथों का उदाहरण देकर हत्यारे बेटे को कोर्ट ने सुनाया मृत्युदंड, पैसों के लिए कर डाली थी मां की हत्या

    Updated: Fri, 25 Jul 2025 07:14 AM (IST)

    मध्य प्रदेश में श्योपुर की जिला अदालत ने 32 लाख रुपये की एफडी हड़पने के लिए मां की हत्या कर शव बाथरूम में दफनाने वाले 27 वर्षीय दत्तक पुत्र को फांसी की सजा सुनाई है। इसके साथ ही अपर सत्र न्यायाधीश एलडी सोलंकी ने सजा सुनाते हुए श्रीरामचरितमानस सहित चार प्रमुख धर्मग्रंथों का उद्धरण देकर मां का महत्व भी बताया।

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    धर्मग्रंथों का उदाहरण देकर हत्यारे बेटे को कोर्ट ने सुनाया मृत्युदंड (सांकेतिक तस्वीर)

     जेएनएन, श्योपुर। मध्य प्रदेश में श्योपुर की जिला अदालत ने 32 लाख रुपये की एफडी हड़पने के लिए मां की हत्या कर शव बाथरूम में दफनाने वाले 27 वर्षीय दत्तक पुत्र को फांसी की सजा सुनाई है।

    32 लाख की एफडी हड़पने के लिए कर डाली मां की हत्या

    अपर सत्र न्यायाधीश एलडी सोलंकी ने सजा सुनाते हुए श्रीरामचरितमानस सहित चार प्रमुख धर्मग्रंथों का उद्धरण देकर मां का महत्व भी बताया। लोक अभियोजक राजेंद्र जाधव के अनुसार वारदात आठ मई 2024 की है।

    श्योपुर स्थित रेलवे कालोनी निवासी दीपक पचौरी ने मां ऊषा देवी को सीढि़यों से धक्का दिया, उन पर राड से वार किया और साड़ी से गला घोंटकर हत्या कर दी। शव को उसने घर के बाथरूम में गड्ढा खोदकर दफना दिया और सीमेंट से गड्ढे को बंद भी कर दिया।

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    मां के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई

    इसके बाद वह कोतवाली थाना पहुंचा और मां के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई। पड़ताल में संदेह होने पर पुलिस ने दीपक से सख्ती से पूछताछ की तो हत्या की बात सामने आई। उसकी निशानदेही पर पुलिस ने ऊषा देवी का शव बाथरूम से गड्ढा खोदकर बरामद कर लिया।

    दरअसल, ऊषा देवी और उनके पति भुवनेश पचौरी ने बुढ़ापे का सहारा बनाने के लिए 2004 में ग्वालियर के अनाथ आश्रम से दीपक को गोद लिया था। तब वह लगभग छह साल का था।

    शेयर बाजार में खर्च कर दी आधी एफडी

    दोनों ने उसे पढ़ाया-लिखाया और परवरिश की, लेकिन 2021 में भुवनेश पचौरी की मौत होने के बाद दीपक बुरी संगत में पड़ गया और अपने नाम की गई 16 लाख की एफडी तोड़कर राशि गलत शौक व शेयर बाजार में खर्च कर दी।

    ऊषा देवी के नाम से बैंक में 32 लाख रुपये की एफडी थी, जिसमें दीपक ही नामिनी था। जांच में सामने आया कि इस रकम को हासिल करने के लिए ही उसने मां को मार डाला।

    धर्मग्रंथों के इन संदर्भों को बनाया फैसले का आधार

    • श्रीरामचरितमानस में लिखा है, 'सुनु जननी सोइ सुतु बड़भागी, जो पितु मातु वचन अनुरागी, तनय मातु-पितु तोषनिहारा, दुर्लभ जननी सकल संसारा।' यानी वही पुत्र सौभाग्यशाली है, जो माता-पिता के वचनों के प्रति अनुराग रखता है और उन्हें प्रसन्न करता है। ऐसे पुत्र संसार में दुर्लभ हैं।
    • श्री गुरुग्रंथ साहिब के अनुसार, माता-पिता की सेवा करही, अपना गति भिती जाणी। वीर बिना कुल कैसे चले, मात पिता को राखी करे।' यानी जो माता-पिता की सेवा करता है, वही कुल का रक्षक होता है और वही सच्चा वीर कहलाता है। जिस मां की गोद में व्यक्ति पला-बढ़ा, उसी को भूल जाना, अधर्म नहीं, घोर पाप है।
    • कुरान में सूरा अल-इसरा, आयत 23 में लिखा है, तुम्हारे रब ने हुक्म दिया है कि माता-पिता के साथ अच्छा व्यवहार करो, यदि वे बुढ़ापे में तुम्हारे पास हों तो उन्हें 'उफ' तक न कहो और शिष्टाचार से बात करो।
    • बाइबिल में लिखा है, माता-पिता का अपमान प्राणदंड योग्य अपराध है, जो व्यक्ति अपने माता या पिता को मारे या श्राप दे, वह निश्चय ही मृत्यु का भागी है।