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    नए साल पर मिलेगी खुशखबरी! पेट्रोल-डीजल की कीमतों में होगी कटौती, CII ने सरकार को दिया ये सुझाव

    Updated: Sun, 29 Dec 2024 08:04 PM (IST)

    वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारतीय उद्योग परिसंघ ने अपने बजट सुझावों में ईंधन पर उत्पाद शुल्क कम करने की सिफारिश की है। इसका उद्देश्य है कि खपत को बढ़ावा दिया जा सके। वहीं उद्योग संगठन का कहना है कि खपत बढ़ाने के लिए खासकर निम्न आय स्तर पर यह छूट दी जानी चाहिए। वहीं इस सुझाव में पीएम किसान योजना की राशि बढ़ाने की बात भी कही गई है।

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    खपत बढ़ाने के लिए घटाया जाए ईंधन पर उत्पाद शुल्क (फाइल फोटो)

    पीटीआई, नई दिल्ली। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए अपने बजट सुझावों में ईंधन पर उत्पाद शुल्क कम करने की सिफारिश की है, जिससे खपत को बढ़ावा दिया जा सके। उद्योग संगठन ने कहा कि खपत बढ़ाने के लिए खासकर निम्न आय स्तर पर यह छूट दी जानी चाहिए, क्योंकि ईंधन की कीमतें मुद्रास्फीति को काफी बढ़ाती हैं।

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    बजट में 20 लाख रुपये प्रतिवर्ष तक की व्यक्तिगत आय के लिए सीमांत दरों को कम करने पर भी सरकार से विचार करने की मांग की गई है। सीआईआई ने कहा कि इससे खपत, उच्च विकास और उच्च कर राजस्व के चक्र को गति देने में मदद मिलेगी। सुझावों में यह भी कहा गया कि व्यक्तियों के लिए उच्चतम सीमांत दर 42.74 प्रतिशत और सामान्य कारपोरेट कर दर 25.17 प्रतिशत के बीच का अंतर अधिक है। ऐसे में मुद्रास्फीति ने निम्न और मध्यम आय वालों की क्रय शक्ति को कम कर दिया है।

    ईंधन पर उत्पाद शुल्क कम करने का सुझाव

    सीआईआई ने कहा, 'केंद्रीय उत्पाद शुल्क पेट्रोल के खुदरा मूल्य का लगभग 21 प्रतिशत और डीजल के लिए 18 प्रतिशत है। मई, 2022 से, इन शुल्कों को वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में लगभग 40 प्रतिशत की कमी के अनुरूप समायोजित नहीं किया गया है। ईंधन पर उत्पाद शुल्क कम करने से समग्र मुद्रास्फीति को कम करने और खर्च करने योग्य आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।'

    सीआईआई ने कम आय वाले समूहों को लक्षित करते हुए उपभोग वाउचर शुरू करने का सुझाव दिया, ताकि तय अवधि में कुछ खास वस्तुओं और सेवाओं की मांग को बढ़ावा दिया जा सके। वाउचर को विशिष्ट वस्तुओं और सेवाओं पर खर्च करने के लिए दिया जा सकता है और खर्च सुनिश्चित करने के लिए यह एक तय अवधि (जैसे 6-8 महीने) के लिए वैध हो सकता है।

    सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि घरेलू खपत भारत की वृद्धि यात्रा के लिए महत्वपूर्ण रही है, लेकिन मुद्रास्फीति के दबाव ने उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति को कुछ हद तक कम कर दिया है। सरकारी हस्तक्षेप के जरिये खर्च करने योग्य आय को बढ़ाने और आर्थिक गति को बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है।

    दिए गए अन्य सुझाव

    • मनरेगा के तहत न्यूनतम मजदूरी को 267 रुपये से बढ़ाकर 375 रुपये करने की भी सिफारिश की गई है। उद्योग निकाय का मानना है कि इससे सरकार पर 42,000 करोड़ रुपये का भार पड़ेगा।
    • पीएम-किसान योजना के तहत वार्षिक भुगतान को 6,000 रुपये से बढ़ाकर 8,000 रुपये किया जाए। अगर योजना के तहत 10 करोड़ लाभार्थियों को माना जाए तो इससे सरकार पर 20 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा।
    • प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण और प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी के तहत मकान बनाने के लिए मिलने वाली राशि में भी वृद्धि की मांग की गई है। संगठन का कहना है कि योजना की शुरुआत से राशि में किसी तरह की वृद्धि नहीं की गई है।

    इलेक्ट्रानिक्स में दिए गए कई सुझाव

    इलेक्ट्रानिक्स हार्डवेयर क्षेत्र में आरएंडी, नवाचार को बढ़ावा देने की वकालत कीइलेक्ट्रानिक्स और कंप्यूटर साफ्टवेयर निर्यात संवर्धन परिषद (ईएससी) ने डिजाइन से जुड़ी प्रोत्साहन (डीएलआइ) योजना में और अधिक सुधार की वकालत की है, ताकि इसे अधिक व्यापक एवं प्रभावी बनाया जा सके।

    उद्योग निकाय ने हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बातचीत के दौरान इलेक्ट्रानिक्स हार्डवेयर क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) तथा नवाचार को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन की जोरदार वकालत की है। ईएससी ने भारत में अनुसंधान एवं विकास को आगे बढ़ाने तथा पेटेंट/डिजाइन दाखिल करने के लिए अपने कारोबार का तीन प्रतिशत से अधिक खर्च करने वाली भारतीय कंपनियों के लिए अतिरिक्त आयकर छूट की भी मांग की है।