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    ‘केंद्रीय सूचना आयोग को अपनी पीठ गठित करने का अधिकार’, हाईकोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणी

    Updated: Sat, 13 Jul 2024 09:07 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के पास सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 12(4) के तहत केंद्रीय सूचना आयोग के मामलों के प्रभावी प्रबंधन के लिए पीठों का गठन करने और नियम बनाने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि अपने कामों के निपटारे के लिए सीआईसी की स्वायत्तता बेहद जरूरी है।

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    सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि केंद्रीय सूचना आयोग के पास पीठों का गठन करने का अधिकार है।

    पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के प्रभावी कामकाज के लिए उसकी स्वायत्तता को सर्वाधिक महत्वपूर्ण करार देते हुए कहा है कि आयोग के पास पीठ गठित करने और नियम बनाने की शक्तियां हैं। जस्टिस विक्रम नाथ और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि प्रशासनिक निकायों की स्वायत्तता और स्वतंत्रता उनके निर्धारित कार्यों को प्रभावी ढंग से करने के लिए महत्वपूर्ण है।

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    पीठ ने कहा, आयोग की पीठों के गठन से संबंधित नियम बनाने की मुख्य सूचना आयुक्त की शक्तियों को बरकरार रखा जाता है, क्योंकि ऐसी शक्तियां आरटीआइ अधिनियम की धारा 12(4) के दायरे में हैं।

    कोर्ट ने सीआईसी की स्वायत्तता पर दिया जोर

    शीर्ष अदालत ने कहा कि सीआईसी जैसी संस्थाएं विशिष्ट कार्य करने के लिए स्थापित की जाती हैं। इसके लिए एक स्तर की निष्पक्षता और विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है और ऐसा तभी हो सकता है जब इनमें अनुचित हस्तक्षेप नहीं हो। ये नियम आयोग के कुशल प्रशासन और संचालन को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपकरण हैं।दिल्ली हाई कोर्ट के 2010 के निर्णय को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की।

    हाईकोर्ट ने अपने आदेश में मुख्य सूचना आयुक्त द्वारा तैयार किए गए केंद्रीय सूचना आयोग (प्रबंधन) विनियम, 2007 को रद कर दिया था और कहा था कि सीआईसी को आयोग की पीठ गठित करने का कोई अधिकार नहीं है।

    सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी में क्या कहा?

    शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रशासनिक प्रणाली की प्रभावशीलता को बनाए रखने के लिए इन निकायों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना आवश्यक है। इन निकायों के कामकाज में हस्तक्षेप करना नुकसानदायक हो सकता है, क्योंकि इससे उनकी कुशलतापूर्वक और निष्पक्ष रूप से काम करने की क्षमता प्रभावित होती है। आरटीआई अधिनियम का उद्देश्य सार्वजनिक प्राधिकरणों के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना तथा नागरिकों के सूचना के अधिकार को सुनिश्चित करना है।

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