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    Christmas day 2018: जानिए क्या है क्रिसमस ट्री और सीक्रेट सांता क्लॉज की कहानी

    By Arti YadavEdited By:
    Updated: Tue, 25 Dec 2018 07:05 AM (IST)

    क्रिसमस को पूरी दुनिया में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसे बड़ा दिन के भी नाम से जाना जाता है।

    Christmas day 2018: जानिए क्या है क्रिसमस ट्री और सीक्रेट सांता क्लॉज की कहानी

    नई दिल्ली, जेएनएन। क्रिसमस डे ईसाई धर्म के लोगों का प्रमुख पर्व है। यह पर्व विश्व में फैले ईसा मसीह के करोड़ों अनुयायियों के लिए पवित्रता का संदेश लाता है। इन दिनों हर जगह क्रिसमस डे की रौनक है। क्रिसमस को पूरी दुनिया में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसे 'बड़ा दिन' के भी नाम से जाना जाता है। क्रिसमस का पर्व प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन प्रभु ईसा मसीह का जन्म हुआ था। भगवान यीशु मसीह के जन्मदिन को लेकर इस समय देश में तैयारी तेज है। क्रिश्चियन समुदाय की ओर से इस त्योहार को लेकर अभी से समारोह आयोजित करने का सिलसिला शुरू हो गया है। 

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    बाजार में भी क्रिसमस को लेकर खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। बाजारों में सांता क्लॉज ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए टहल रहे हैं। क्रिसमस के दिन लोग एक-दूसरे मिलते हैं, पार्टी करते हैं, घूमते हैं और चर्च में प्रेयर करते हैं। घर पर विशेष तौर पर केक बनाए जाते हैं और खिलाए जाते हैं। बच्चे इस पर्व का बेसब्री से इंतजार करते हैं। क्रिसमस की एक रात पहले बच्चे घरों में मोजे लटकाते हैं, उन्हें लगता है कि रात में सांता क्लॉज आएगा और उन मोजों में उनके लिए गिफ्ट रख कर जाएगा। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस सीक्रेट सांता की क्या कहानी है या फिर क्यों क्रिसमस के दिन 'क्रिसमस ट्री' को लाया और सजाया जाता है। आज हम आपको क्रिसमस से जुड़े कुछ ऐसे ही सीक्रेट्स के बारे में बताने जा रहे हैं।

    25 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है क्रिसमस डे

    सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि 25 दिसंबर को ही क्रिसमस डे क्यों मनाया जाता है। क्या आपको पता है कि इस तारीख को लेकर कई बार विवाद हो चुके हैं। बाइबल में जीसस के जन्म की कोई तारीख नहीं दी गई है। लेकिन फिर भी पूरे विश्व में 25 दिसंबर को ही क्रिसमस डे मनाया जाता है। दरअसल रोमन के पहले ईसाई सम्राट के समय में 25 दिसंबर को क्रिसमस डे मनाया गया था। इसके कुछ सालों बाद पोप जुलियन ने आधिकारिक तौर पर 25 दिसंबर को क्रिसमस डे मनाने का एलान किया, तभी से हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमिस डे मनाया जाने लगा।

    जानिए क्या क्रिसमस ट्री की कहानी

    आपने भी क्रिसमस डे के मौके पर लोगों के घरों में क्रिसमस ट्री जरूर देखा होगा या आप अपने घर में खुद लाए भी होंगे। लोग अपनी इच्छानुसार छोटे-बड़े क्रिसमस ट्री लाते हैं और उसे बड़ी ही खूबसूरती से सजाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि क्रिसमस डे के दिन क्रिसमस ट्री को क्यों लाया और सजाया जाता है। ये इतना महत्वपूर्ण क्यों हैं? आइए हम आपको बताते हैं कहां से शुरू हुई क्रिसमस ट्री की कहानी। क्रिसमस ट्री की शुरुआत उत्तरी यूरोप में हजारों सालों पहले हुई। उस समय लोग देवदार के पेड़ को सजाकर विंटर फेस्टिवल मनाया करते थे। इसके अलावा लोग चेरी के पेड़ की टहनियों को भी सजाया करते थे। जो लोग इन पौधों को खरीद नहीं पाते थे, वो लकड़ी का पिरामिड बनाकर क्रिसमस मनाया करते थे। धीरे-धीरे क्रिसमस ट्री का चलन हर जगह बढ़ा और अब हर कोई क्रिसमस के मौके पर इस पेड़ को अपने घर लाता है और इसे टॉफी, चॉकलेट्स, खिलौने, लाइट्स, बेल्स और गिफ्ट्स से सजाता है।

    क्या है सीक्रेट सांता और मोजों में गिफ्ट की कहानी

    आपने भी बचपन में कई बार अपने घर में मोजे टांगे होंगे और इस उम्मीद में रात बिताई होगी कि सांता क्लॉज आएगा और उसमे आपके लिए तोहफे छोड़ कर जाएगा। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस सीक्रेट सांता की कहानी कहां से शुरू हुई। प्रचलित कहानियों के अनुसार चौथी शताब्दी में एशिया माइनर की एक जगह मायरा में सेंट निकोलस नाम का एक शख्स रहता था। सेंट निकोलस बहुत अमीर था, लेकिन उसके माता-पिता का देहांत हो चुका था। वो हमेशा गरीबों की चुपके से मदद करता था और उन्हें सीक्रेट गिफ्ट दिया करता था।

    उसी शहर में एक गरीब आदमी रहता था, जिसकी तीन बेटियां थी। उस आदमी के पास बेटियों की शादी करने के लिए पैसा नहीं था। जब निकोलस को इस बात का पता चला तो, उसने इस आदमी की मदद करने की सोची। निकोलस गरीब आदमी की घर की छत में लगी चिमनी के पास पहुंचा और वहां से सोने से भरा बैग डाल दिया। उस दौरान इस गरीब शख्स ने अपना मोजा सुखाने के लिए चिमनी में लगा रखा था। इस मोजे में अचानक सोने से भरा बैग उसके घर में गिरा। ऐसा एक बार नहीं बल्कि तीन बार हुआ। आखिरी बार में इस आदमी ने निकोलस को देख लिया। निकोलस ने गरीब आदमी को यह बात किसी को ना बताने के लिए कहा। लेकिन जल्द ही इस बात का शोर बाहर हो गया, और सभी को पता चल गया। उस दिन से जब भी किसी को कोई सीक्रेट गिफ्ट मिलता था तो, सभी को लगता था कि यह निकोलस ने दिया।

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    समय के साथ विश्व में ये कहानी प्रसिद्ध हुई। इसके बाद सबसे पहले यूके खासकर इंग्लैंड में निकोलस की कहानी को आधार बनाया गया और उन्हें 'फादर क्रिसमस' व 'ओल्ड मैन क्रिसमस' का नाम दिया गया। इसके बाद पूरी दुनिया में क्रिसमस के दिन मोजे में गिफ्ट देने और सीक्रेट सांता बनने का रिवाज आगे बढ़ता चला गया।

    कैसे मनाते हैं क्रिसमस का त्योहार

    विदेशों में क्रिसमस से पहले ही लोगों और बच्चों की स्कूल, कॉलेज और ऑफिस की छुट्टियां दी जाती हैं। बाजार क्रिसमस ट्री, गिफ्ट्स और लाइटों से जगमगा उठता है। 24 दिसंबर को लोग ईस्टर ईव मनाते हैं और 25 दिसंबर को घरों में पार्टी करते हैं, जो कि 12 दिनों तक चलती है। 25 दिसंबर से शुरू होकर क्रिसमस 5 जनवरी तक चलता है। खासकर यूरोप में 12 दिनों तक मनाए जाने वाले इस फेस्टिवल को 'ट्वेल्थ नाइट' के नाम से जाना जाता है। क्रिसमस के दिन लोग एक-दूसरे के साथ पार्टी करते हैं, घूमते हैं और चर्च में प्रेयर करते हैं।

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