चीन-पाक की दोस्ती क्यों हुई और गहरी? पूर्व विदेश सचिव ने खोले कई राज
पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि भारत-पाक सैन्य संघर्ष, चीन-पाकिस्तान की गहरी रणनीतिक साझेदारी का संकेत है। चीन, पाकिस्तान को खुफिया जानकारी और राजनयिक समर्थन दे रहा है। दोनों देशों का गठबंधन भारत की प्रगति रोकने के उद्देश्य से है। श्रृंगला ने भारत की विदेश नीति, रणनीतिक मामलों और अंतरराष्ट्रीय स्थिति को मजबूत करने पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने रणनीतिक प्रतिरोध और कुशल कूटनीति पर जोर दिया।

चीन-पाक गठबंधन, भारत के लिए खतरा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान द्वारा चीनी हथियारों के इस्तेमाल के बाबत पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच यह सैन्य संघर्ष 'चीन और पाकिस्तान के बीच गहरी रणनीतिक साझेदारी का संकेत' था।
उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान को चीन का समर्थन केवल रक्षा आपूर्ति तक ही सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह अब खुफिया जानकारी साझा करने और उसे राजनयिक समर्थन प्रदान करने तक पहुंच गई है। इन दोनों देशों के बीच एक 'सदाबहार' गठबंधन बन गया है जिसका उद्देश्य भारत की प्रगति को रोकना है।
चीन-पाक रणनीतिक साझेदारी का संकेत
श्रृंगला ने पुणे इंटरनेशनल सेंटर (पीआइसी) द्वारा आयोजित और चीन में भारत के पूर्व राजदूत गौतम बंबावाले द्वारा संचालित एक संवाद कार्यक्रम में भारत की विदेश नीति और रणनीतिक मामलों पर बात की। उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति यथार्थवाद और आदर्शवाद के बीच संतुलन को दर्शाती है, जो समग्र विकास पर केंद्रित, रणनीतिक स्वायत्तता और एक समावेशी वैश्विक ²ष्टिकोण द्वारा निर्देशित है।
जी-20 प्रेसीडेंसी के लिए भारत के मुख्य समन्वयक के रूप में भी कार्य करने वाले श्रृंगला ने तेजी से बदलती वैश्विक व्यवस्था में देश की उभरती विदेश नीति, क्षेत्रीय गतिशीलता और रणनीतिक प्राथमिकताओं पर अपने ²ष्टिकोण साझा किए।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
खुफिया जानकारी साझा कर रहा चीन
संवाद कार्यक्रम में कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई, जिसमें चीन और पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध, आधुनिक युद्ध की बदलती प्रकृति और रक्षा एवं कूटनीति में प्रौद्योगिकी, ड्रोन और साइबर उपकरणों की बढ़ती भूमिका शामिल थी।
श्रृंगला ने भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को मजबूत करने के लिए रणनीतिक प्रतिरोध, कुशल कूटनीति और घरेलू विकास पर स्पष्ट ध्यान केंद्रित करने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने क्षमता निर्माण, नवाचार और भारत के रणनीतिक हितों पर आधारित साझेदारियों पर भी जोर दिया।
भारत की प्रगति रोकने का उद्देश्य
आपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान-अमेरिका संबंधों के मद्देनजर उन्होंने अमेरिका में भारत के राजदूत के रूप में अपने अनुभव का हवाला देते हुए पाकिस्तान के अल्पकालिक सामरिक दृष्टिकोण और भारत की दीर्घकालिक, संस्थागत कूटनीति के बीच तुलना की।
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत की ताकत अमेरिका, यूरोप, ¨हद-प्रशांत और ग्लोबल साउथ में साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, व्यापार, प्रौद्योगिकी और सुरक्षा सहयोग पर आधारित टिकाऊ साझेदारी बनाने में निहित है। -

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।