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    BRICS घोषणा पत्र में लश्‍कर और जैश नहीं हो सके आतंकी संगठन घोषित

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Mon, 17 Oct 2016 12:03 PM (IST)

    ब्रिक्‍स के घोषणापत्र में भारत की कोशिशों के बाद भी लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आंतकी संगठनों का जिक्र तक नहीं किया जा सका। जिससे चीन अपनी चाल में कामयाब हो गया।

    गोवा (जेएनएन)। भारत को एक बार फिर से चीन ने बड़ी चतुराई के साथ पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के मुद्दे पर करारा झटका मिला है। ब्रिक्स सम्मेलन के घोषणापत्र में सदस्यों के बीच इन आतंकी संगठनों के जिक्र को लेकर आम सहमति नहीं बन सकी। ब्रिक्स सम्मेलन के समापन पर भारत की अपील के बाद भी चीन ने अपने वक्तव्य में पाकिस्तान द्वारा फैलाए जा रहे आतंकवाद का जिक्र तक नहीं किया। हालांकि चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने भारत के साथ एकजुटता दिखाते हुए अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से मुकाबले के लिए व्यापक रणनीति बनाने पर जोर जरूर दिया। लेकिन पाकिस्तान को घेरने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रणनीति चीन के कारण कामयाब नहीं हो सकी।

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    चीन के रुख की पहले से थी उम्मीद

    हालांकि इस बात की उम्मीद पहले से ही थी कि चीन पाकिस्तान के मुद्दे पर नरम रुख अपनाएगा। लेकिन साथ ही भारत को उम्मीद थी कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आंतकी संगठनों का जिक्र किया जाएगा। इसकी जानकारी देते हुए ब्रिक्स सम्मेलन के सचिव अमर सिन्हा ने बताया कि पाकिस्तान में मौजूद आंतकी संगठनों का निशाना भारत है, इसलिए ब्रिक्स के दूसरे सदस्य देशों के लिए यह कोई चिंता का विषय नहीं है। उन्होंने कहा कि चीन का रुख भारत के लिए काफी निराशाजनक रहा है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय आंतकी समूहों जैसे इस्लामिक स्टेट और जबात-अल-नुसरा का घोषणापत्र में जिक्र किया गया।

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    उड़ी हमले की तीखी निंदा

    ब्रिक्स के चार सदस्यों रूस, चीन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका ने एकजुट होकर जम्मू कश्मीर के उड़ी में सेना के कैंप पर हुए हमले की तीखी निंदा की। इन देशों ने द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय, दोनों स्तरों पर आतंकवाद के खिलाफ पार्टनरशिप को मजबूत करने पर सहमति जताई। लेकिन इसके बावजूद गोवा घोषणा पत्र में सीमा पार आतंकवाद का जिक्र तक नहीं किया जा सका।

    ब्रिक्स का घोषणा पत्र

    इस घोषणा पत्र में कहा गया कि हम हाल में भारत समेत कुछ ब्रिक्स देशों में हुए हमले की कड़ी निंदा करते हैं। हम हर तरह के आंतकवाद का पुरजोर विरोध करते हैं और सैद्धांतिक, धार्मिक, राजनीतिक, नस्लीय और किसी भी अन्य वजहों से की गई किसी भी तरह की आतंकवादी गतिविधियों को उचित नहीं ठहराया जा सकता। हमने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से मुकाबले के लिए द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर सहयोग मजबूत करने पर सहमति जताई है। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक ब्रिक्स के सदस्यों ने सीसीआईटी को तेजी से अपनाने पर भी जोर दिया हैै।

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