Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भारत के खिलाफ चाल चलने से बाज नहीं आ रहा चीन, LAC पर कर रहा ये काम 

    Updated: Tue, 25 Nov 2025 10:00 PM (IST)

    डोकलाम और गलवन के बाद, चीन ने भारत के लिए एक नई चुनौती पेश की है। तिब्बत में भारतीय सीमा के पास चीन अपने सैन्य ढांचे को तेजी से बढ़ा रहा है, जिसमें ड्रोन परीक्षण केंद्र भी शामिल है। एलएसी पर चीन की हरकतों से भारत की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि चीन लगातार सैन्य सुविधाएं और कनेक्टिविटी बढ़ा रहा है। चीन की 14वीं पंचवर्षीय योजना में सैन्य बुनियादी ढांचे के लिए 30 बिलियन डॉलर आवंटित किए गए हैं।

    Hero Image

    भारत-चीन पर ड्रैगन कर रहा ये काम। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। डोकलाम गतिरोध एवं गलवन झड़प के बाद रिश्तों में सुधार की कवायद के बीच अब चीन की एक नई चाल सामने आई है जो भारत के लिए बड़ी चुनौती तथा चिंता का सबब बन सकती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    तिब्बत में भारतीय सीमा के निकट चीन अपने सैन्य बुनियादी ढांचे का तेजी से विस्तार कर रहा है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने लगातार सैन्य सुविधाएं, लॉजिस्टिक्स हब और कनेक्टिविटी बढ़ाना जारी रखा है।

    हाल ही में चीन ने तिब्बत में एक ड्रोन (यूएवी) परीक्षण केंद्र की स्थापना की है जो लगभग लगभग 4,300 मीटर की ऊंचाई पर बनी है। इस अत्यधिक ऊंचाई वाले परीक्षण केंद्र से पीएलए और चीनी ड्रोन निर्माताओं को खराब मौसम एवं ज्यादा ऊंचाई वाली परिस्थितियों में भी यूएवी परीक्षण करने में मदद मिलने की उम्मीद है।

    एलएली पर सीमा को लेकर विवाद

    एक नवनिर्मित हवाई क्षेत्र में 720 मीटर का रनवे, चार हैंगर और प्रशासनिक भवन भी बने हैं। भारतीय सीमा पर चीन की हरकतें दक्षिण चीन सागर में उसकी हरकतों जैसी ही हैं, जहां उसने कब्जे वाली जमीन पर सैन्य सुविधाएं बनाईं, हथियार जमा किए और वहां लगातार अपनी मौजूदगी बनाए रखकर खास इलाकों पर नियंत्रण कर लिया। एलएसी पर सीमा को लेकर विवाद हालांकि अभी भी बना हुआ है और इधर चीन तिब्बत तथा शिनजियांग में अपने सैन्य बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रहा है जो पीएलए के वेस्टर्न थिएटर कमान के तहत आते हैं।

    2025 में जारी रिपोर्ट में क्या?

    उल्लेखनीय है कि सितंबर, 2025 में चाइना एयरोस्पेस स्टडीज इंस्टीट्यूट (सीएएसआई) ने ''रिमोट बेसिंग : पीपल्स लिबरेशन आर्मी लॉजिस्टिक्स ऑन द तिब्बतन प्लेटो'' शीर्षक वाली एक रिपोर्ट जारी की थी। इसके लेखक जान एस. वैन ओडेनरेन ने कहा, ''चीन से तिब्बत में परिवहन और तिब्बत के अंदर भी ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क की कमी भारत से लगी सीमा पर फोर्स भेजने की पीएलए की क्षमता में एक बड़ी रुकावट रही है। दूर-दराज के इलाकों में बहुत खराब या न के बराबर ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क होने की वजह से पीएलए को आवश्यक चीजों की आपूर्ति के लिए अन्य विकल्पों पर भी बहुत ज्यादा निर्भर रहना पड़ा है। हालांकि, तिब्बत में और उसके आसपास सड़क, हवाई और रेल नेटवर्क के हालिया विस्तार ने अब इस इलाके में पीएलए की क्षमता को बढ़ाया है।''

    तिब्बत आटोनामस रीजन (टीएआर) के अध्यक्ष यान जिनहाई ने अपनी जनवरी, 2024 की रिपोर्ट में कहा कि ''सैन्य बुनियादी ढांचे का विस्तार बीजिंग के लिए प्राथमिकता बनी हुई है। सीमा पर चौकसी एवं तैनाती बढ़ाना और एक मजबूत राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र बनाना वर्ष 2025 के लिए उसकी प्राथमिकताएं थीं।

    तिब्बत के राजमार्ग नेटवर्क को बढ़ाया

    चीन की 14वीं पंचवर्षीय योजना (2021-2025) के तहत तिब्बत में सैन्य बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं के लिए 30 बिलियन डालर दिए गए थे। किंघाई-तिब्बत कॉरिडोर तिब्बत को आपूर्ति किए जाने वाले 85 प्रतिशत से ज्यादा सामान और सेवाओं को हैंडल करता है। चीन के सरकारी सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने तिब्बत के राजमार्ग नेटवर्क को लगभग दोगुना कर दिया है। यह 2012 में 65,198 किमी से बढ़कर 2023 में 1,22,712 किमी हो गया।

    यह भी पढ़ें: भारत के लिए चिंता का सबब बन सकता है चीन का नया आर्टिफीशियल आईलैंड, क्यों हो रही इसकी चर्चा?