ऑटोमोबाइल कंपनियों को मिलेगी नई संजीवनी, रेअर अर्थ मैग्नेट आपूर्ति को लेकर भारत की मांग पर विचार करेगा चीन
चीन रेअर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति बाधा पर भारत से बात करने को तैयार हो गया है। दिल्ली में हुई बैठक में भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनियों को आ रही समस्या पर चर्चा हुई। चीन ने कुछ धातुओं के निर्यात पर पाबंदी लगाई है जिससे ऑटोमोबाइल उद्योग प्रभावित है। भारत ने चीन से भारतीय उत्पादों के प्रसार और व्यापार घाटे पर भी बात की।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। चीन ने रेअर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति में आ रही बाधा के मुद्दे पर अंतत: भारत के आग्रह को स्वीकार किया है और इस बारे में बात करने को तैयार हो गया है। गुरूवार को नई दिल्ली में चीन के उपविदेश मंत्री सुन वीडोंग और विदेश सचिव विक्रम मिसरी के बीच हुई बैठक में भारतीय आटोमोबाइल कंपनियों को रेअर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति में आ रही बाधा का मुद्दा उठा।
सीधी उड़ान सेवा पर बन सकती सहमति
भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में इस बात की तरफ इशारा किया गया है। बयान में रेअर अर्थ मैग्नेट का सीधे तौर पर जिक्र नहीं किया गया है लेकिन कहा गया है कि, “आर्थिक व कारोबार से जुड़ी आपूर्ति को लेकर खास चिंताओं पर कार्यपरक बात करने की सहमति बनी है।” चीन व भारत के बीच हुई इस वार्ता में दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान सेवा को जल्द से जल्द शुरू करने पर भी सहमति बनी है।
चीन ने अप्रैल, 2025 में छह तरह के बहुमूल्य धातुओं के निर्यात पर पाबंदी लगा दी है। इसमें रेअर अर्थ मैग्नेट भी शामिल है। इस धातु का इस्तेमाल आटोमोबाइल उद्योग में इस्तेमाल होने वाले मोटरों के निर्माण में किया जाता है। चीन ने इस धातु के निर्यात के साथ यह पाबंदी लगा दी है कि आयात करने वाली कंपनियों को अपनी सरकारों से यह सत्यापित करके देना होगा कि उसका सैन्य क्षेत्र में इस्तेमाल नहीं होगा।
चीन रेअर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति को तैयार
अमेरिकी और यूरोपीय कार कंपनियां भी इससे परेशान है। पिछले मंगलवार को अमेरिका और चीन के बीच हुई ट्रेड वार्ता में इस पर बात हुई थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि चीन रेअर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति को तैयार हो गया है। भारत ने इस मुद्दे को नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास के समक्ष और बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास ने चीन के विदेश मंत्रालय के समक्ष उठाया था।
सुन वीडोंग व विक्रम मिसरी की बैठक में कारोबारी संबंधों पर खास तौर पर ध्यान दिया गया है। सूत्रों ने बताया है कि इस बैठक में भारत ने चीन में भारतीय उत्पादों को ज्यादा प्रसार देने का मुद्दा भी उठाया। साथ ही दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापार घाटे (चीन के पक्ष) का मामला भी उठा।
भारत व चीन के बीच द्विपक्षीय कारोबार वर्ष 2024 में 124 अरब डॉलर से ज्यादा का रहा था लेकिन इसका पूरा फायदा चीन को ही हो रहा है क्योंकि भारत से चीन को होने वाला निर्यात कम हो रहा है। व्यापार घाटा चीन के पक्ष में वर्ष 2024-25 में 99.2 अरब डॉलर का हो चुका है। यह भारत के लिए एक चिंता का कारण है। भारतीय विदेश सचिव ने चीन को खास तौर पर मानसरोवर यात्रा की फिर से शुरू करने के लिए धन्यवाद किया।
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