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    देश में बाल विवाह के मामलों में बढ़ोतरी, NCRB के आंकड़ों ने चौंकाया

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 12:00 AM (IST)

    राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार भारत में बाल विवाह के मामलों में 2023 में छह गुना वृद्धि हुई है। असम में अकेले ही लगभग 90% मामले दर्ज किए गए हैं। 2023 में 6038 मामले दर्ज किए गए जबकि 2022 में 1002 मामले थे। असम में सबसे ज्यादा बाल विवाह के मामले दर्ज हुए हैं जिसके बाद तमिलनाडु कर्नाटक और बंगाल हैं।

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    साल 2023 में देश में बाल विवाह की संख्या में बढ़ोतरी। जागरण फोटो

    डिजिटल डेस्क नई दिल्ली। देश में बाल विवाह के दर्ज मामलों की संख्या 2023 में पिछले वर्ष की तुलना में छह गुना बढ़ी है। इसमें अकेले असम में कुल मामलों का लगभग 90 प्रतिशत दर्ज किया गया है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों में यह जानकारी सामने आई है।

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    एनसीआरबी के अनुसार, साल 2023 में 16,737 लड़कियों और, 129 लड़कों को जबरन शादी के लिए अगवा किया गया। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 2023 में इस अधिनियम के तहत 6,038 मामले दर्ज किए गए, जो कि 2022 में 1,002 मामलों और 2021 में 1,050 मामलों की तुलना में काफी अधिक हैं।

    असम में सबसे ज्यादा बाल विवाह के मामले दर्ज

    इनमें असम ने 5,267 मामले दर्ज किए, इसके चलते यह राज्य सबसे अधिक मामलों वाला राज्य बना। इस सूची में अन्य अधिक संख्या वाले राज्यों में तमिलनाडु (174), कर्नाटक (145) और बंगाल (118) शामिल हैं। कई राज्य और केंद्रीय राज्य जैसे छत्तीसगढ़, नगालैंड, लद्दाख और लक्षद्वीप में इस दौरान कोई मामला दर्ज नहीं किया गया।

    बाल विवाह पर क्या कहता है भारतीय कानून?

    वर्ष 2006 में अधिनियमित यह अधिनियम 18 वर्ष से कम आयु की लड़कियों और 21 वर्ष से कम आयु के लड़कों के विवाह पर प्रतिबंध लगाता है तथा ऐसे विवाहों का आयोजन, संचालन या सुविधा प्रदान करने वालों को अपराधी बनाता है।

    (न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)