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बुरे फंसे ट्राई प्रमुख, आधार नंबर ट्विट करके दी थी चुनौती; सभी जानकारी हुई लीक

ट्राई प्रमुख ने डाटा की सुरक्षा का पुख्ता दावा करते हुए अपना आधार नंबर सार्वजनिक कर दिया था। जिसके बाद निजी जीवन के आंकड़े आधार नंबर के जरिये उजागर कर दिए।

By Arti YadavEdited By: Published: Sun, 29 Jul 2018 08:19 AM (IST)Updated: Sun, 29 Jul 2018 09:49 AM (IST)
बुरे फंसे ट्राई प्रमुख, आधार नंबर ट्विट करके दी थी चुनौती; सभी जानकारी हुई लीक
बुरे फंसे ट्राई प्रमुख, आधार नंबर ट्विट करके दी थी चुनौती; सभी जानकारी हुई लीक

नई दिल्ली (आइएएनएस/प्रेट्र)। अपना आधार डाटा लीक करने की खुली चुनौती देकर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के अध्यक्ष आरएस शर्मा बुरे फंसे हैं। उन्होंने ट्विटर पर जैसे ही अपने 12 अंकों के आधार नंबर को जारी करते हुए चुनौती दी, उसके कुछ ही घंटों में उनके निजी आंकड़े माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर सार्वजनिक हो गए। शर्मा की चुनौती स्वीकार करते हुए इलियट एल्डरसन उपनाम वाले फ्रांस के एक सुरक्षा विशेषज्ञ ने आधार डाटा के पूरी तरह सुरक्षित होने के दावे की पोल खोल दी।

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ट्राई प्रमुख शर्मा ने डाटा की सुरक्षा का पुख्ता दावा करते हुए अपना आधार नंबर ट्विटर पर सार्वजनिक कर दिया था। उन्होंने ट्वीट कर चुनौती दी थी, 'मेरा आधार नंबर 7621 7768 2740  है। अब मैं चुनौती देता हूं कि कोई भी मेरे आंकड़े को लीक करके दिखाए, जिससे मुझे किसी भी किस्म का नुकसान पहुंचाया जा सके।' इसके कुछ ही घंटे बाद एल्डरसन ने कई ट्वीट करते हुए शर्मा के निजी जीवन के आंकड़े आधार नंबर के जरिये उजागर कर दिए।

इन आंकड़ों में ट्राई प्रमुख का पता, जन्मतिथि, निजी फोन नंबर आदि शामिल थे। उसने बताया कि इस आधार से कौन सा मोबाइल फोन नंबर जुड़ा है। यह नंबर ट्राई प्रमुख के सचिव का है। फ्रांसीसी विशेषज्ञ ने इन आकड़ों को जारी करते हुए शर्मा को बताया कि आधार नंबर सार्वजनिक करने के क्या खतरे हो सकते हैं? एल्डरसन ने आगे लिखा, 'आधार संख्या उजागर करना कितना खतरनाक है, इसका अंदाज आपको लग गया होगा। यह बेहद असुरक्षित है। इसके जरिये लोग पता, फोन नंबर और जन्मतिथि सहित आपके बारे में काफी कुछ जान सकते हैं। मैं यहीं रुकता हूं। मैं उम्मीद करता हूं कि आप समझ गए होंगे कि अपना आधार नंबर सार्वजनिक करना एक अच्छा विचार नहीं है।'

ट्राई प्रमुख शर्मा आधार परियोजना के सबसे बड़े समर्थकों में माने जाते हैं। उनका अभी भी कहना है कि यह विशिष्ट संख्या किसी की निजता का उल्लंघन नहीं करती है। सरकार को इस तरह का डाटाबेस बनाने का अधिकार है ताकि वह सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत लोगों को सब्सिडी दे सके। आधार को लेकर निजता का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है।


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