तमिलनाडु में गरमाया 'दक्षिण के अयोध्या' का मुद्दा, सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला; क्या है विवाद?
तमिलनाडु में 'दक्षिण के अयोध्या' कहे जाने वाले अरुलमिगु सुब्रह्मणयम स्वामी मंदिर का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। विवाद मंदिर के प्रबंधन और सं ...और पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट। (फाइल)
नीलू रंजन, नई दिल्ली। विधानसभा चुनाव के पहले मदुरै स्थित अरुलमिगु सुब्रह्मणयम स्वामी मंदिर में दीप जलाने के मुद्दे पर तमिलनाडु की राजनीति गरमा गई है। हाईकोर्ट के आदेश से बाद दीप स्तंभ पर कार्तिक महीने के दीये जलाने पर भाजपा और अन्य हिंदू संगठन अड़ गए हैं। वहीं तमिलनाडु सरकार इसे रोकने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।
हाईकोर्ट में आदेश की अवमानना की प्रक्रिया शुरू होने के बाद राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची लेकिन फिलहाल राहत नहीं मिली है। तमिलनाडु भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अन्ना मलाई ने इसे ''दक्षिण के अयोध्या'' करार दिया है। दरअसल पहाड़ी पर स्थित अरुलमिगु सुब्रह्मणयम स्वामी मंदिर भगवान मुरूगन के छह मंदिरों में से पहला स्थान है और 300 ईसवी पूर्व से 300 ईसवी के बीच लिखे गए संगम साहित्य में भी यहां भगवान मुरूगम की पूजा का उल्लेख है।
मंदिर के बाहर पत्थर का दीप स्तंभ है, जहां हिंदू कार्तिक के महीने में दीये जलाना चाहते हैं, जो तमिलनाडु की पुरानी परंपरा है। लेकिन दीप स्तंभ के पास पहाड़ी की चोटी पर दरगाह का हवाला देकर राज्य सरकार इसकी अनुमति नहीं दे है। जबकि 1931 में प्रिवी कौंसिल के फैसले में दरगाह और सीढि़यों को छोड़कर पूरी पहाड़ी को मंदिर का हिस्सा बताया जा चुका है।
एक दिसंबर को हाईकोर्ट ने दीप स्तंभ को मंदिर का भाग बताते हुए हिंदुओं दीये जलाने की अनुमति दे दी। हैरानी की बात है कि दरगाह कमेटी भी दीये जलाने पर सहमति दे चुकी है। लेकिन लगभग छह फीसद मुस्लिम वोटबैंक को देखते हुए स्टालिन सरकार इसकी इजाजत नहीं दे रही है।
डीएमके को डर है कि लगभग 100 साल बाद वहां दीये जलाने की अनुमति देने से मुसलमान नाराज हो सकता है और इस बार उसके लिए अभिनेता विजय की नई पार्टी का विकल्प भी खुला है।
वहीं प्राचीन तमिल सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत से जुड़े इस मुद्दे को हिंदू अस्मिता और सम्मान के साथ जोड़ कर आक्रमक है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद दीप जलाने के लिए गए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नैनार नागेंद्रन को 50 समर्थकों के साथ हिरासत में ले लिया गया। सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के साथ ही राज्यसभा में डीएमके नेता त्रिची शिवा स्थगन प्रस्ताव देते हुए चर्चा की मांग की।
डीएमके इसे राज्य की सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की साजिश बता रही है। वहीं भाजपा हिंदुओं के पुराने हक को हासिल करने की लड़ाई बता रही है।

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