Naxal Attack: बड़े हमलों की साजिश रचने वाला हिड़मा बोलता है फर्राटेदार अंग्रेजी, एक हाथ में बंदूक तो दूसरे में लेकर चलता है नोटबुक
हिड़मा साल 1990 में माओवादियों के साथ जुड़ा और जल्द ही नक्सली संगठन का एक बड़ा नाम बन गया। साल 2010 में ताड़मेटला में हुए हमले में 76 जवानों की मौत में हिड़मा की अहम भूमिका थी। साल 2013 में हुए झीरम हमले का मास्टरमाइंड उसे ही माना जाता है।

जगदलपुर, जेएनएन। छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ की घटना दुर्दात नक्सली हिड़मा के गांव पुवर्ती के करीब हुई है। हिड़मा को संतोष उर्फ इंदमुल उर्फ पोड़ियाम भीमा जैसे कई और नामों से भी जाना जाता है। कद-काठी में छोटा दिखने वाले हिड़मा इतना शातिर है कि कम उम्र में ही नक्सलियों की टॉप सेंट्रल कमेटी का सदस्य बन गया। दक्षिण बस्तर में बड़ी घटनाओं को अंजाम देने वाला हिड़मा पढ़ा-लिखा ज्यादा नहीं है, लेकिन फर्राटेदार अंग्रेजी बोलता है।
सूत्र बताते हैं कि हिड़मा ने जगरगुंडा व कोंटा में रहकर दसवीं तक पढ़ाई की है। बाहर से आने वाले नक्सली नेताओं को अंग्रेजी बोलता देख वह प्रभावित हुआ। किताबों और पढ़े लिखे नक्सलियों की मदद से उसने अंग्रेजी सीखी और अब वह फर्राटेदार अंग्रेजी बोलकर जंगल में लोगों को अचंभित कर रहा है। वह एक हाथ में बंदूक तो दूसरे में एक नोटबुक लेकर चलता है। बीच-बीच में वह नोट्स बनाता रहता है। हिड़मा की खास पहचान यही है कि उसके बाएं हाथ की एक अंगुली कटी हुई है। इसके अलावा उसकी पहचान का कोई साधन नहीं है। उसकी एक तस्वीर उपलब्ध है पर वह पुरानी है और अब उसके चेहरे से कितना मेल खाती है, यह कहा नहीं जा सकता।
कुछ ही साल में बना लिया दबदबा
हिड़मा साल 1990 में माओवादियों के साथ जुड़ा व कुछ ही सालों में यह नक्सली संगठन का एक बड़ा नाम बन गया। साल 2010 में ताड़मेटला में हुए हमले में 76 जवानों की मौत में हिड़मा की अहम भूमिका थी। साल 2013 में हुए झीरम हमले का मास्टरमाइंड उसे ही माना जाता है। इस हमले में कई बड़े कांग्रेसी नेताओं सहित 31 लोगों की मौत हो गई थी। साल 2017 में बुरकापाल में हुए हमले में भी हिड़मा की अहम भूमिका बताई गई थी। इस हमले में सीआरपीएफ के 25 जवान शहीद हो गए थे।
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