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    जेनेरिक दवाएं नहीं लिखे जाने पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को भेजा नोटिस, जानें याचिका में क्‍या दी गई है दलील

    छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी व जस्टिस आरसीएस सामंत की डिवीजन बेंच ने केंद्र व राज्य शासन को नोटिस जारी कर डाक्टरों द्वारा जेनेरिक दवाएं नहीं लिखे जाने पर जवाब मांगा है। पढ़ें यह रिपोर्ट...

    By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Thu, 05 May 2022 10:56 PM (IST)
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    छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने डाक्टरों द्वारा जेनेरिक दवाएं नहीं लिखे जाने पर केंद्र व राज्य शासन से जवाब मांगा है।

    बिलासपुर, जेएनएन। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी व जस्टिस आरसीएस सामंत की डिवीजन बेंच ने केंद्र व राज्य शासन को नोटिस जारी कर डाक्टरों द्वारा जेनेरिक दवाएं नहीं लिखे जाने पर जवाब मांगा है। कोरबा के आरटीआइ कार्यकर्ता लक्ष्मी चौहान ने जनहित याचिका दायर की है। इसमें जेनेरिक दवाइयों की अनिवार्यता संबंधित गाइडलाइन और 21 अप्रैल, 2017 को जारी अधिसूचना का हवाला दिया गया है।

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    याचिका में यह दी गई दलील 

    इसमें कहा गया है कि जेनेरिक दवाइयों का नाम नहीं लिखना पेशेवर कदाचरण व शिष्टाचार नैतिकता नियम 2002 के खिलाफ है। लक्ष्मी ने अपनी याचिका में कहा है कि दवा दुकान संचालक मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया के दिशानिर्देश और मापदंड को भी नहीं मान रहे हैं। मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया की वर्ष 2016 व 2017 में जारी अधिसूचना में स्पष्ट रूप से जेनेरिक दवाओं की बिक्री करने के निर्देश हैं।

    जेनेरिक के बजाय ब्रांडेड दवाएं लिख रहे डाक्‍टर

    चिकित्सकों के लिए गाइडलाइन भी जारी की गई है। इलाज के बाद मरीज की पर्ची में कैपिटल अक्षरों में जेनेरिक दवाओं को लिखने कहा गया है, जबकि चिकित्सक जेनेरिक के बजाय ब्रांडेड दवाएं लिख रहे हैं। ब्रांडेड दवाओं की कीमत जेनेरिक की तुलना में आठ से 10 गुना ज्यादा है। यह बीमार व्यक्ति के अलावा उसके स्वजन के लिए भी बड़ी परेशानी का कारण है।

    आइएमए को कार्रवाई का है अधिकारी

    याचिकाकर्ता ने मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया में दिए गए प्रविधान की जानकारी देते हुए कहा कि इसमें स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि नियमों का उल्लंघन करने की स्थिति में उसे संबंधित चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई का भी अधिकार दिया गया है।