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    दार्जलिंग से कई गुना बेहतर छत्तीसगढ़ की जशपुरिहा चाय, मिल रही नई पहचान

    By Dhyanendra SinghEdited By:
    Updated: Sat, 29 Jun 2019 07:42 PM (IST)

    जशपुर में चाय बगान की सफलता की कहानी से अब पर्यटक इस ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। प्रदेश के साथ पडोसी राज्य झारखण्ड ओडिसा बिहार के पर्यटकों से बगान ...और पढ़ें

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    दार्जलिंग से कई गुना बेहतर छत्तीसगढ़ की जशपुरिहा चाय, मिल रही नई पहचान

    जशपुरनगर, जेएनएन। जशपुर के चाय की महक अब जिला और प्रदेश की सीमा से बाहर निकल कर देश में फैल रही है। चाय विशेषज्ञ यहां उत्पादित हो रही चाय पत्ती को दार्जिलिंग से बेहतर बता रहे हैं। चाय बगान के सफल प्रयोग के बाद अब प्रदेश सरकार ने जशपुर में सरकारी चाय प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की पहल की है।

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    यह प्रदेश का पहला सरकारी चाय प्रोसेसिंग यूनिट होगा। इस यूनिट का संचालन सारूडीह स्थित सरकारी चाय बगान को संचालित कर रही महिला स्व सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं करेंगी। सरकार का यह कदम महिला सशक्तीकरण की दिशा में भी एक नया कदम माना जा रहा है।

    ऐसे शुरू हुआ था चाय बगान
    वर्ष 2011 में जब सर्वेश्वरी समूह के अघोरेश्वर गुरूपद बाबा संभव राम जी ने जिले के मनोरा तहसील में स्थित सोगड़ा में चाय बगान की शुरूआत प्रयोग के तौर पर किया था तो किसी ने कल्पना भी नहीं किया था कि बाबा का यह सोच जशपुर के साथ प्रदेश को एक नई पहचान और दिशा देगा। सोगड़ा में मिली सफलता से प्रेरित हो कर प्रदेश सरकार ने जशपुर तहसील के ग्राम पंचायत सारूडीह के ढरूआकोना में 11 एकड़ जमीन पर चाय बगान स्थापित किया। इसके लिए इस गांव के 11 किसानों की जमीन को लीज पर इस वायदे के साथ लिया गया था कि उन्हें चाय बगान का मालिक बना कर,जमीन वापस कर दी जाएगी।

    चाय बगान का हुआ विस्तार
    शुरूआत में गड़बड़ी का शिकार होने के बाद लडखडाते हुए यह सरकारी चाय बगान भी अब अपने मुकाम पर पहुंचता हुआ दिखाई दे रहा है। 11 एकड़ से शुरू हुआ ढरूआकोना का चाय बगान अब 20 एकड़ तक पहुंच चुका है। इसके बाद अब जिला प्रशासन ने मनोरा के केसरा गांव में अलग से चाय बगान स्थापित करने की योजना तैयार कर ली है।

    राज्य सरकार स्थापित कर रही दूसरी यूनिट
    बगान की सफलता के बाद अब प्रदेश सरकार जशपुर के नजदीक ग्राम बालाछापर में चाय प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित किया जा रहा है। इस यूनिट को शुरू करने से पहले टेस्टिंग की तैयारी इन दिनों अंतिम चरण में है। इस यूनिट को स्थापित करने और इसके मेन्टेनेंस के लिए भारत एलायंस कंपनी से एमओयू साइन किया गया है। इस सरकारी यूनिट की खास बात है कि इसका संचालन सारूडीह के सरकारी चाय बगान का संचालन कर रही स्व सहायता समूह द्वारा किया जाएगा। इस समूह का संचालन महिलाओं द्वारा किया जा रहा है।

    पर्यटकों से गुलजार होने लगा चाय बगान
    जशपुर में चाय बगान की सफलता की कहानी से अब पर्यटक इस ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। प्रदेश के साथ पडोसी राज्य झारखण्ड, ओडिसा, बिहार के पर्यटकों से बगान बारहों माह गुलजार हो रहा है। जिले के इन चाय बगानों में आ कर पर्यटकों को इसका अहसास ही नहीं होता कि वे छत्तिसगढ़ में ही है। उन्हें इन बगानों में असम और पश्चिम बंगाल के चाय बगान जैसा आनंद मिलता है।

    पर्यटकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए वन विभाग ने इस बगान में पैगोड़ा का निर्माण भी कराया है। इसके उपर बैठ कर पर्यटक चाय की खुश्बू के साथ यहां की हरियाली, प्राकृतिक दृश्य और चहकते हुए पक्षियों को देखने का आनंद लेते हैं। वन विभाग ने सारूडीह के चाय बगान में पांच स्र्पये का प्रवेश शुल्क भी लगा दिया है। इसके साथ ही पर्यटकों के खान-पान की व्यवस्था करने की योजना भी बनाई जा रही है।

    हाथ से तैयार चाय की बढ़ रही मांग
    सोगड़ा में पहले से ही एक चाय प्रोसेसिंग यूनिट चालू है। इससे ग्रीन टी और सीटीसी दोनों का उत्पादन किया जा रहा है, लेकिन सारूडीह में महिलाओं द्वारा हाथ से तैयार की जा रही ग्रीन टी की मांग अब भी बनी हुई है। बाहर से आने वाले पर्यटकों को हैंड मेड टी खूब भा रहा है। इस चाय को स्व सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं ही तैयार कर रही है। इसके लिए उन्हें असम से आए लोगों से प्रशिक्षण दिलाया गया है। इस चाय के लिए ढरूआकोना में वन विभाग ने एक भट्टी का निर्माण भी किया है।