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    चेनाब नदी पर सावलकोट जल विद्युत परियोजना को केंद्र की मंजूरी, पाकिस्तान को घेरने की तैयारी 

    Updated: Fri, 10 Oct 2025 10:27 PM (IST)

    केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर 1,856 मेगावाट की सावलकोट जल विद्युत परियोजना को मंजूरी दी है। यह परियोजना, जो लगभग चार दशकों से रुकी हुई थी, सिंधु जल संधि के निलंबन के बाद पुनर्जीवित हो रही है। सावलकोट परियोजना चेनाब बेसिन में भारत की सबसे बड़ी जलविद्युत योजनाओं में से एक है। इस परियोजना से रामबन जिले के 13 गांव प्रभावित होंगे।

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    चिनाब नदी पर सावलकोट परियोजना को मंजूरी। फाइल फोटो

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर 1,856 मेगावाट की सावलकोट जल विद्युत परियोजना के लिए पर्यावरणीय मंजूरी की सिफारिश की है। यह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण परियोजना है जिसे पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि के निलंबन के बाद पुनर्जीवित किया जा रहा है। लगभग चार दशकों से रुकी हुई सावलकोट परियोजना, चेनाब बेसिन में भारत की सबसे बड़ी जलविद्युत योजनाओं में से एक है।

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    यह 1960 की संधि के निलंबन के बाद पश्चिमी नदियों के जल के अपने हिस्से का पूर्ण उपयोग करने के लिए सरकार के प्रयासों का महत्वपूर्ण हिस्सा है। सावलकोट जलविद्युत परियोजना को मंजूरी ऐसे समय में दी गई है जब जब कुछ महीने पहले ही नई दिल्ली ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को निलंबित करने की घोषणा की थी। इस संधि के निलंबन के बाद भारत अब सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों पर स्वतंत्र रूप से बुनियादी ढांचे का विकास कर सकता है। सिंधु जल संधि के तहत, तीन पूर्वी नदियां - रावी, व्यास और सतलुज - का अधिकार भारत को दिया गया। तीन पश्चिमी नदियां - ¨सधु, झेलम और चिनाब पर पाकिस्तान को अधिकार दिया गया, हालांकि भारत के पास गैर-उपभोग संबंधी उद्देश्यों, जैसे कि नदी जल विद्युत उत्पादन, नौवहन और मत्स्य पालन, के लिए उनके जल का उपयोग करने के सीमित अधिकार हैं।

    जम्मू कश्मीर की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना

    सावलकोट जल विद्युत परियोजना केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना होगी। राष्ट्रीय जलविद्युत विद्युत निगम (एनएचपीसी) लिमिटेड द्वारा 31,380 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से क्रियान्वित की जाने वाली इस परियोजना में 192.5 मीटर ऊंचा रोलर-काम्पैक्टेड कंक्रीट बांध और भूमिगत बिजलीघर शामिल होंगे, जिन्हें प्रतिवर्ष लगभग 7,534 मिलियन यूनिट बिजली उत्पन्न करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। यह परियोजना भारत की चेनाब नदी के जल का प्रबंधन और भंडारण करने की क्षमता को बढ़ाएगी।

    केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की नदी घाटी और जलविद्युत परियोजनाओं के लिए विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (ईएसी) ने 26 सितंबर को बैठक में एनएचपीसी के अद्यतन प्रस्ताव की जांच की, जिसमें 847.17 हेक्टेयर वन भूमि सहित कुल 1,401.35 हेक्टेयर क्षेत्र शामिल है। नौ अक्टूबर को प्रकाशित समिति के मिनट्स के अनुसार, इसके 10 किलोमीटर के दायरे में कोई संरक्षित क्षेत्र नहीं है तथा निकटतम अभयारण्य, किश्तवाड़ उच्च ऊंचाई राष्ट्रीय उद्यान, लगभग 63 किलोमीटर दूर है। इस परियोजना से मुख्य रूप से रामबन जिले के 13 गांव प्रभावित होंगे तथा लगभग 1,500 परिवार विस्थापित होंगे।

    सिंधु जल संधि के निलंबन के बाद पुनर्जीवन

    इस परियोजना को जुलाई में वन मंजूरी मिली थी। एनएचपीसी की पर्यावरण-प्रबंधन योजना के लिए लगभग 594 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इस योजना में मलबे का निपटान, जैव विविधता संरक्षण और वायु, जल, मिट्टी और जलीय पारिस्थितिकी तंत्र की दीर्घकालिक निगरानी शामिल है। एनएचपीसी ने प्रभावित परिवारों को आवास, आजीविका सहायता और कौशल विकास के लिए विस्तृत पुनर्वास का प्रस्ताव दिया है। निर्माण के दौरान लगभग 1,500 लोगों को रोजगार मिलेगा, जबकि लगभग 200 तकनीकी कर्मचारियों को रखा जाएगा।

    ईएसी ने समीक्षा के बाद पाया कि प्रस्ताव विनियामक मानदंडों के अनुरूप है और विशिष्ट पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों के साथ मंजूरी की सिफारिश की।सावलकोट परियोजना की परिकल्पना पहली बार 1980 के दशक में की गई थी, लेकिन वन मंजूरी, पुनर्वास मुद्दों के कारण इसमें बार-बार देरी हुई। पर्यावरण मंत्रालय की वन सलाहकार समिति और गृह मंत्रालय ने हाल ही में रणनीतिक आधार पर इसकी मंजूरी का समर्थन किया है।