Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    PMSYM में होगा बदलाव, वीवी गिरी नेशनल लेबर इंस्टीट्यूट के अध्ययन के आधार पर बनेंगी नई गाइडलाइन

    By Jagran NewsEdited By: Anurag Gupta
    Updated: Sat, 15 Apr 2023 08:32 PM (IST)

    श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अनुसार अभी तक इस योजना में 4401508 कर्मचारियों का पंजीकरण हुआ है।पिछले दिनों जारी एक रिपोर्ट में मंत्रालय ने बताया कि लक्ष्य की तुलना में कम पंजीकरण के कई कारण हैं। मसलन कर्मचारी दीर्घकालिक वित्तीय प्रतिबद्धता चाहते हैं।

    Hero Image
    प्रधानमंत्री श्रम योगी मान धन योजना में होगा बदलाव

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। असंगठित क्षेत्र के अधिक से अधिक कामगारों को भी सामाजिक सुरक्षा देने के लिए केंद्र सरकार प्रयासरत है, लेकिन इन कर्मचारियों को सरकार की पेंशन योजना रास नहीं आ रही है। अंशदान के रूप में बहुत कम वित्तीय भार होने के बावजूद प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना में लक्ष्य के सापेक्ष बहुत कम पंजीकरण हो सके हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    योजना में लाभार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए श्रम एवं रोजगार मंत्रालय वीवी गिरी नेशनल लेबर इंस्टीट्यूट से अध्ययन करा रहा है। इसकी रिपोर्ट के आधार पर योजना की गाइडलाइंस में बदलाव किया जाएगा।

    केंद्र ने 2019 में प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना लागू की थी। इसमें 60 वर्ष की आयु के बाद अधिकतम 15 हजार वेतन वाले असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को तीन हजार प्रति माह की पेंशन का प्रविधान है। योजना में लाभार्थी और केंद्र का अंशदान 50-50 प्रतिशत रखा गया।

    शर्त रखी गई कि इस योजना का लाभार्थी वही कर्मचारी हो सकता है, जो कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, कर्मचारी राज्य बीमा निगम या केंद्र सरकार की अन्य पेंशन योजना का लाभार्थी न हो। इस योजना का ज्यादा से ज्यादा लाभ देने के लिए देशभर में चार लाख कामन सर्विस सेंटर के माध्यम से पंजीकरण की सुविधा दी गई।

    प्रति वर्ष एक करोड़ कर्मचारियों के पंजीयन का लक्ष्य रखा गया, कर्मचारियों ने इस योजना के प्रति उम्मीद के मुताबिक, उत्साह नहीं दिखाया है।

    अभी तक 44,01,508 कर्मचारियों का हुआ पंजीकरण 

    श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अनुसार, अभी तक इस योजना में 44,01,508 कर्मचारियों का पंजीकरण हुआ है।पिछले दिनों जारी एक रिपोर्ट में मंत्रालय ने बताया कि लक्ष्य की तुलना में कम पंजीकरण के कई कारण हैं। मसलन, कर्मचारी दीर्घकालिक वित्तीय प्रतिबद्धता चाहते हैं।

    कोरोना महामारी ने इस योजना को काफी प्रभावित किया है। इसके अलावा असंगठित क्षेत्र के बहुत से कर्मचारी केंद्र की अन्य पेंशन योजना के लाभार्थी हैं। साथ ही राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्य असंगठन कर्मचारियों के लिए अपनी पेंशन योजना चला रहे हैं, जिसमें कर्मचारी को कोई अंशदान ही नहीं देना है।

    हालांकि, इसके साथ ही मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि सरकार चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा कर्मचारियों को इस योजना के दायरे में लाया जाए। इसलिए संबंधित संस्थाओं के साथ काफी मंथन किया गया है।