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    अपना नजरिया बदल कर देखे, खुल जाएगा मन का दरवाजा मिलेगी पॉजिटिव एनर्जी

    By Prateek KumarEdited By:
    Updated: Thu, 13 Aug 2020 01:23 PM (IST)

    क्या आपने कभी यह सोचा है कि हमारी इच्छाशक्ति मांसपेशियों की तरह होती हैं। आप जितनी कसरत करेंगे जितना इन्हें आजमाएंगे उपयोग करेंगे आप बड़ी से बड़ी मुश्कि ...और पढ़ें

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    अपना नजरिया बदल कर देखे, खुल जाएगा मन का दरवाजा मिलेगी पॉजिटिव एनर्जी

    नई दिल्ली, जेएएन। यदि हम हर चीज के अच्छे-बुरे पक्ष को तटस्थ भाव से और धीर होकर देखने में सक्षम हैं तो इससे मन को खोलने में और रचनात्मक समाधान की दिशा में ज्यादा मदद मिल सकती है। हम हमेशा अपने भीतर दो आवाजों को सुनते हैं। एक कहता है हां और दूसरा नहीं। यही एक बात है जो यह साबित करता है कि इस दुनिया में दो सत्ताएं हैं- नकारात्मक और सकारात्मक ऊर्जा।

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    जीवन में नया सीखने के लिए दोनों एनर्जी की जरूरत

    जीवन में आगे बढ़ने और नया सबक सीखने के लिए हमें दोनों तरह की ऊर्जा की जरूरत होती  है। गौर करें, यदि हमारे पास इन दो के बीच चुनाव करने का टास्क न हो  तो कोई समस्या रहेगी ही नहीं! पर यही तो हमारी इच्छाशक्ति की परीक्षा है।

    बड़ी से बड़ी मुश्किलों का सामना कर सकते हैं 

    क्या आपने कभी यह सोचा है कि हमारी इच्छाशक्ति मांसपेशियों की तरह होती हैं। आप जितनी कसरत करेंगे, जितना इन्हें आजमाएंगे, उपयोग करेंगे, आप बड़ी से बड़ी मुश्किलों का सामना कर सकते हैं। हालांकि हम जीवन में क्या चुनते हैं, वह हमारी परवरिश और परिवेश पर निर्भर है लेकिन हमारे जीवन में क्या होगा, यह हमारी इच्छाशक्ति तय करती है। याद रखें, हर चीज में एक सीख छिपी होती है जो जीवन में काम आती है। हमें आगे बढ़ते जाने में मदद करती है। इस तरह हमें तो मुश्किलों का शुक्रिया कहना चाहिए। उनका कृतज्ञ होना चाहिए।

    डर ही हमें जीने पर बंदिशें लगा देता है

    आपने देखा होगा कि अक्सर हम अपने डर से प्रेरित रहते हैं। वह डर जो हमें बंद बक्से से बाहर निकलने से रोकता रहता है। जीवन को भरपूर जीने पर बंदिशें लगा देता है। पर हमें डर को जीवन से पूरा खत्म कर देना चाहिए। याद रखें यदि आपका लक्ष्य सुंदर है, तो बेशक डर भी कम होता जाएगा। सुंदर लक्ष्य यानी बड़ा लक्ष्य जो लोकोपयोगी हो, वहां डर की कोई जगह नहीं। आगे बढ़ने के लिए यह बेहद जरूरी है कि हम अपनी भूमिका को याद रखें। यदि इस क्रम में असफलता हाथ लगे तो मन को थामे रखें, बागडोर हमेशा अपने पास रहे। हो सकता है असफलता बस आपकी इच्छाशक्ति और भरोसे को मजबूत करने के लिए आई हो। हां, यदि इस क्रम में आपको लगता है कि आपकी परिस्थितियां ज्यादा कठिन हैं तो यहां अपने फोकस यानी नजरिए को थोड़ा बदल लें। इसे बदलकर देखें, हो सकता है स्थिति और स्पष्ट हो। यदि हम हर चीज के अच्छे-बुरे पक्ष को तटस्थ भाव से और धीर होकर देखने में सक्षम हैं तो इससे मन को खोलने में और समाधान की दिशा में ज्यादा मदद मिल सकती है। यह हमारे ही हाथ में है कि हम चीजों को जटिल बनने दें या सरल बना लें।

    (लेखक सेलिब्रिटी लाइफ कोच और योग प्रशिक्षक हैं)