Explainer: भारत के लिए इतना खास क्यों है चंद्रयान-3 मिशन? जानें इसके बारे में सब कुछ
चंद्रयान-3 मिशन को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) एमके III से लॉन्च किया जाएगा। मालूम हो कि चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 का ही फॉलोअप मिशन है। इस मिशन ने अपने सभी प्रकार की परीक्षण को सफलता पूर्वक पूरा कर लिया है। फाइल फोटो।

नई दिल्ली, सोनू गुप्ता। चंद्रमा काफी लंबे समय तक वैज्ञानिकों और प्रेम करने वाले लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है। भारतीय वैज्ञानिकों की करीब 10 वर्ष से भी अधिक समय से इसकी सतह पर रुचि रही है। वैज्ञानिक इसकी सतह पर खोज करने के लिए लगातार मिशन चलाते रहे हैं। फिलहाल, भारत इसी के उद्देश्य से अपने सबसे प्रतिष्ठित और ड्रीम मिशन चंद्रयान-3 को इसी साल जुलाई में लॉन्च करने वाला है।
GSLV एमके III से किया जाएगा लॉन्च
चंद्रयान-3 मिशन को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) एमके III से लॉन्च किया जाएगा। यह तीन स्टेज वाला लॉन्च व्हीकल है, जिसका निर्माण इसरो द्वारा किया गया है। देश के इस सबसे हैवी लॉन्च व्हीकल को 'बाहुबली' नाम से भी जाना जाता है। मालूम हो कि इस मिशन का मकसद पृथ्वी से इतर किसी दूसरी जगह पर अपने यान की 'सॉफ्ट लैंडिंग' कराने की क्षमता हासिल करना है। इससे पहले अब तक सिर्फ तीन देशों ने इस तरह की तकनीक हासिल की हुई है।

क्या है चंद्रयान-3 मिशन ?
मालूम हो कि चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 का ही फॉलोअप मिशन है। हालांकि, भारत ने इससे पहले साल 2019 में चंद्रयान-2 के जरिए इस मिशन को हासिल करने की कोशिश की थी, लेकिन सफलता नहीं मिल पाया था। उस समय चंद्रयान का लैंडर विक्रम चंद्रमा पर लैंड करने से पहले ही कुछ किलोमीटर की ऊंचाई पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस दौरान लैंडिंग साइट से संपर्क टूटने के कारण सफल लैंडिंग नहीं हो पाई थी। इसी के साथ चंद्रयान का 47 दिन का सफल सफर खत्म हो गया था। मालूम हो कि साल 2024 में गगनयान मिशन के जरिए भारत पहली बार इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी की है।

दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा चंद्रयान-3
चंद्रयान-3 मिशन ने अपने सभी प्रकार की परीक्षण को सफलता पूर्वक पूरा कर लिया है। इस बार चंद्रयान-3 मिशन के माध्यम से यान को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारा जाएगा। इस मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए इसमें कई अतिरिक्त सेंसर को जोड़ा गया है और इसकी गति को मापने के लिए इसमें एक 'लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर' सिस्टम लगाया है।
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चंद्रयान मिशन ने अपनी ओर खींचा था दुनिया का ध्यान
मालूम हो कि चंद्रयान मिशन को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा लॉन्च किया गया था और यह चंद्रमा के लिए भारत का पहला मिशन था। पहले चन्द्र मिशन को 22 अक्टूबर 2008 को आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से PSLV C-11 द्वारा लॉन्च किया गया था। इसे 8 नवंबर 2008 को चंद्रमा की ऑर्बिट में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया था। इसी मिशन के बाद दुनिया ने भारत का लोहा माना था और देश को विश्व पटल पर गौरवान्वित किया था।

चंद्रमा की सतह के बारे में मिलेगी जानकारी
चंद्रयान-3 मिशन के साथ कई प्रकार के वैज्ञानिक उपकरणों को भेजा जाएगा, जिससे लैंडिंग साइट के आसपास की जगह में चंद्रमा की चट्टानी सतह की परत, चंद्रमा के भूकंप और चंद्र सतह प्लाज्मा और मौलिक संरचना की थर्मल-फिजिकल प्रॉपर्टीज की जानकारी मिलने में मदद हो सकेगी।
लैंडर और रोवर को किया जाएगा लॉन्च
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने अपने इस मिशन चंद्रयान -3 के साथ केवल एक लैंडर और एक रोवर लॉन्च करने का फैसला किया है, जिसका उद्देश्य नए चंद्र मिशन के लिए चंद्रयान -2 के ऑर्बिटर को फिर से तैयार करना है।

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