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    Chandrayaan-3: इसरो के वैज्ञानिकों को कितनी सैलरी मिलती है? पूर्व अध्यक्ष माधवन नायर ने दिया जवाब

    By AgencyEdited By: Achyut Kumar
    Updated: Thu, 24 Aug 2023 12:04 PM (IST)

    इसरो के पूर्व अध्यक्ष माधवन नायर ने चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग पर वैज्ञानिकों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि भारत अपने अंतरिक्ष अभियानों के लिए घरेलू तकनीक का उपयोग करता है और इससे उन्हें लागत को काफी कम करने में मदद मिली है। नायर ने कहा कि भारत के अंतरिक्ष मिशन की लागत अन्य देशों के अंतरिक्ष अभियानों की तुलना में 50 से 60 प्रतिशत कम है।

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    चंद्रयान-3 की लैंडिंग कर भारत का मान बढ़ाने वाले इसरो के वैज्ञानिकों को कितनी सैलरी मिलती है?

    तिरुवनंतपुरम, पीटीआई। भारत के सफल चंद्रयान-3 मिशन (Chandrayaan-3 Mission) से उत्साहित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष जी माधवन नायर ने कहा कि इसरो के वैज्ञानिकों ने बेहद कम सैलरी पाकर यह ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों के लिए कम वेतन एक कारण है कि वे अंतरिक्ष अन्वेषण (Space Exploration) के लिए कम लागत वाले समाधान ढूंढ सके।

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    इसरो के वैज्ञानिकों को कितना वेतना मिलता है?

    इसरो के बेहद कम लागत पर अंतरिक्ष की खोज के इतिहास के बारे में बात करते हुए माधवन नायर ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि इसरो में वैज्ञानिकों, तकनीशियनों और अन्य कर्मचारियों को दिया जाने वाला वेतन विश्व स्तर पर दिए जाने वाले वेतन का बमुश्किल पांचवां हिस्सा है। 

    इसरो वैज्ञानिकों में कोई करोड़पति है?

    माधवन नायर ने कहा कि इसरो वैज्ञानिकों में कोई करोड़पति नहीं है। वे हमेशा बहुत सामान्य और संयमित जीवन जीते हैं। वे वास्तव में पैसे के बारे में चिंतित नहीं हैं, बल्कि अपने मिशन के प्रति भावुक और समर्पित हैं। इसी तरह हमने नई ऊंचाइयां हासिल कीं। इसरो के वैज्ञानिक सावधानीपूर्वक योजना और दीर्घकालिक दृष्टिकोण के माध्यम से इसे हासिल कर सकते हैं।

    हमने एक को दूसरे पर खड़ा करने की कोशिश की। हमने अतीत में जो सीखा, उसका उपयोग हमने अगले मिशन के लिए किया। दरअसल, हमने लगभग 30 साल पहले ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान के लिए जो इंजन विकसित किया था, वही इंजन जीएसएलवी के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

    इसरो के मिशन की लागत क्यों कम होती है?

    इसरो के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि भारत अपने अंतरिक्ष अभियानों के लिए घरेलू तकनीक का उपयोग करता है और इससे उन्हें लागत को काफी कम करने में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि भारत के अंतरिक्ष मिशन की लागत अन्य देशों के अंतरिक्ष अभियानों की तुलना में 50 से 60 प्रतिशत कम है।

    चंद्रयान-3 की सफलता पर पूर्व इसरो अध्यक्ष नायर ने क्या कहा?

    इसरो के पूर्व अध्यक्ष नायर ने कहा कि चंद्रयान-3  (Chandrayaan-3) की सफलता भारत के ग्रहों की खोज शुरू करने के लिए पहला कदम है। उन्होंने कहा कि देश के पास पहले से ही यूरोप और अमेरिका के साथ कई वाणिज्यिक अनुबंध हैं और अब चंद्रयान-3 की सफलता के साथ यह बढ़ेगा। उन्होंने कहा,

    निश्चित रूप से वैश्विक लोग हमारी तकनीकी क्षमता और हमारे लॉन्च सिस्टम और अंतरिक्ष यान आदि की गुणवत्ता को स्वीकार करेंगे। अंतरराष्ट्रीय सहयोग भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के एजेंडे में रहा है और आने वाले दिनों में इसे मजबूत किया जाएगा।

    चंद्रयान-3 का कितना है बजट?

    इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-3 की कुल लागत सिर्फ 615 करोड़ रुपये है, जो देश में एक बॉलीवुड फिल्म के प्रोडक्शन बजट के लगभग बराबर है।

    चंद्रयान-3 को कब लैंड किया गया?

    भारत का तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त की शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की। ऐसा करने वाला वह दुनिया का पहला देश है। चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को दोपहर  दो बजकर 35 मिनट पर लॉन्च किया।

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