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    Chandrayaan-3: अब 14 जुलाई को होगी चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग, किस समय उड़ान भरेगा रॉकेट; ISRO ने बताया शेड्यूल

    By AgencyEdited By: Piyush Kumar
    Updated: Thu, 06 Jul 2023 08:53 PM (IST)

    भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने चंद्रयान-3 लॉन्चिंग तारीख को लेकर एक ताजा जानकारी दी है। इसरो ने बताया कि चंद्रयान-3 को अब 13 जुलाई की जगह 14 जुलाई को लॉन्च किया जाएगा। इससे पहले बुधवार को इसरो ने एक वीडियो जारी करते हुए जानकारी दी कि श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में चंद्रयान-3 की इनकैप्सुलेटेड असेंबली को LVM3 के साथ जोड़ा गया है।

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    चंद्रयान-3 को अब 13 जुलाई की जगह 14 जुलाई को लॉन्च किया जाएगा।(फोटो जागरण)

    तिरुपति, एएनआइ। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के बहुप्रतीक्षित मिशन चंद्रयान-3 लॉन्चिंग के आखिरी चरणों में है। इस मिशन को लेकर इसरो लगातार जानकारी साझा कर रहा है। इसी बीच गुरुवार को इसरो ने चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग तारीख को लेकर एक ताजा जानकारी दी है। इसरो ने बताया कि चंद्रयान-3 को अब 13 जुलाई की जगह 14 जुलाई को लॉन्च किया जाएगा।

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    इसरो ने ट्वीट करते हुए जानकारी दी,एलवीएम3-एम4/चंद्रयान-3 मिशन का प्रक्षेपण अब 14 जुलाई, 2023 को दोपहर 2:35 बजे एसडीएससी, श्रीहरिकोटा से निर्धारित किया गया है।"

    इनकैप्सुलेटेड असेंबली को LVM3 के साथ जोड़ा गया

    बता दें कि इससे पहले बुधवार को इसरो ने एक वीडियो जारी करते हुए जानकारी दी कि श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में चंद्रयान-3 की इनकैप्सुलेटेड असेंबली को LVM3 के साथ जोड़ा गया है। बता दें कि इसी इनकैप्सुलेटेड असेंबली में चंद्रयान-3 मौजूद है। इसरो ने पोस्ट करते हुए एक वीडियो जारी किया है, जिसमें देखा जा सकता है कि LVM3 के साथ इनकैप्सुलेटेड को असेंबल का किया गया।

    बता दें कि चंद्रयान-3 के लैंडर में चार पेलोड हैं, जबकि छह चक्कों वाले रोवर में दो पेलोड हैं। इसरो ने बताया कि चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर को वही नाम देने का फैसला किया है, जो चंद्रयान-2 के लैंडर और रोवर के नाम थे। Chandrayaan-3 के लैंडर का नाम विक्रम ही होगा, जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है और रोवर का नाम प्रज्ञान होगा।

    आखिर चंद्रयान 3 मिशन क्यों है खास?

    अब तक दुनिया के जितने भी देशों ने अभी चंद्रमा पर अपने यान भेजे हैं, उन सभी की लैंडिंग चांद के उत्तरी ध्रुव पर हुई है, लेकिन चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरे वाला चंद्रयान-3 पहला अंतरिक्ष मिशन होगा। कुछ सालों पहले चंद्रयान-2 को भी इसरो ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर ही लैंड कराया था, लेकिन आखिरी चंद मिनटों में संपर्क टूटने मिशन नाकाम हो गया था।

    यह मिशन क्यों है खास?

    इस बार चंद्रयान-2 मिशन की सफलता के लिए नए उपकरण बनाए गए हैं। इस मिशन में एल्गोरिदम को बेहतर किया गया है। चंद्रयान-3 मिशन की लैंडिंग साइट को ‘डार्क साइड ऑफ मून’ कहा जाता है क्योंकि यह हिस्सा पृथ्वी के सामने नहीं आता।

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