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    Chandrayaan-3: अपने आखिरी चरण में पहुंचा चंद्रयान, सिर्फ इतने किलोमीटर का बचा है फासला

    By Jagran NewsEdited By: Abhinav Atrey
    Updated: Fri, 18 Aug 2023 10:05 AM (IST)

    चंद्रयान-3 चंद्रमा पर भारत का इतिहास लिखने के लिए लगातार आगे बढ़ रहा है। यान ने गुरुवार (17 अगस्त) को प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर और रोवर से अलग कर दिया। इसका मतलब ये है कि अब चंद्रयान का रोवर अकेले ही चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए आगे बढ़ रहा है। ऐसे में आज यानी शुक्रवार का भी दिन इसके लिए काफी अहम माना जा रहा है।

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    अपना यात्रा के आखिरी चरण में पहुंचा चंद्रयान-3 (फोटो, इसरो)

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। चंद्रयान-3 चंद्रमा पर भारत का इतिहास लिखने के लिए लगातार आगे बढ़ रहा है। यान ने गुरुवार (17 अगस्त) को प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर और रोवर से अलग कर दिया। इसका मतलब ये है कि अब चंद्रयान का रोवर अकेले ही चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए तेजी से आगे बढ़ रहा है। ऐसे में आज यानी शुक्रवार का भी दिन इसके लिए काफी अहम माना जा रहा है।

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    शुक्रवार शाम तकरीबन 4 बजे चंद्रयान-3 में डीहूस्टिंग की प्रक्रिया होगा, जिसमें लैंडर अपनी रफ्तार कम करते हुए चंद्रमा की सतह पर थोड़ा पास जाएगा। इसरो ने कहा है कि चंद्रयान 23 अगस्त को शाम 5.47 बजे चांद की सतह पर लैंड करेगा। अब पूरे देश की निगाहें 23 अगस्त पर टिकी हुई हैं, जब लोग चंद्रयान के चांद पर उतरने के साक्षी होंगे।

    लैंडिंग प्रक्रिया में 1.68 किमी प्रति सेकंड होगी रफ्तार

    इस बार इसरो ने चंद्रयान के चांद पर सफल लैंडिंग के लिए कई सावधानियां बरती हैं। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ के मुताबिक, लैंडिंग का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा लैंडर के वेग को कम कर 30 किलोमीटर की ऊंचाई से चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने तक की प्रक्रिया है। हमें इसे क्षैतिज से ऊध्र्वाधर डायरेंक्शन में स्थानांतरित करना है। उन्होंने कहा कि लैंडिंग प्रक्रिया की शुरुआत में रफ्तार लगभग 1.68 किमी प्रति सेकंड है।

    मात्र 30 किलोमीटर रह जाएगी दूरी

    इसरो के अधिकारी के मुताबिक, शुक्रवार को लैंडर को चांद की कक्षा में लाने के लिए डीबूस्ट किया जाएगा। इस प्रक्रिया में चद्रमा की ऑर्बिट में लाने के लिए यान की रफ्तार कम होगी, जिसके बाद लैंडर की चांद की सतह से दूरी मात्र 30 किलोमीटर रह जाएगी।