Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Mustard Oil: चंबल की सरसों दे रही सबसे ज्यादा तेल, किसानों व तेल मिलर को हो रहा अतिरिक्त फायदा

    By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By:
    Updated: Tue, 08 Jun 2021 07:44 PM (IST)

    चंबल के सरसों की बात करें तो यहां की सरसों में पिछले साल 41 फीसद तक (100 किलो में 41 किलो) तेल निकल रहा था लेकिन इस बार 43 फीसद तक यानि एक क्विंटल में 43 किलो तक तेल निकल रहा है।

    Hero Image
    तेल मिलर को एक क्विंटल सरसों पर करीब तीन सौ रूपये का अतिरिक्त फायदा

    हरिओम गौड़, मुरैना। सरसों इस साल खेती करने वाले किसान से लेकर व्यापारी और उसका तेल निकालने वाले कारोबारियों के लिए खूब मुनाफा दे रही है। पहली बार सरसों 7400 रूपये क्विटंल तक के भाव बिकी थी, सो किसानों को अच्छा-खास मुनाफा हुआ। अब वही सरसों तेल मिलर को भरपूर फायदा दे रही है। इस बार चंबल की सरसों की गुणवत्ता इतनी अच्छी है कि इसके दानों में हरियाणा और राजस्थान की सरसों से भी ज्यादा तेल निकल रहा है। पिछले साल तक आमतौर पर 41 फीसद तक तेल देने वाली सरसों इस बार 43 फीसद तक तेल दे रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    देश में सरसों की सबसे ज्यादा पैदावार राजस्थान में होती है। वहां की सरसों में 41.5 फीसद तक तेल निकलता है। अगर चंबल की बात करें तो यहां की सरसों में पिछले साल 41 फीसद तक (100 किलो में 41 किलो) तेल निकल रहा था लेकिन इस बार 43 फीसद तक यानि एक क्विंटल में 43 किलो तक तेल निकल रहा है। इससे ऑयल मिल मालिकों के चेहरे खिले हैं। सिंह ऑयल मिल के संचालक अशोक सिंह भदौरिया ने बताया, इस बार एक क्विंटल पर दो किलो तेल का फायदा हो रहा है, एक क्विंटल पर करीब तीन सौ रूपये ज्यादा।

    इसलिए तेल में सराबोर है सरसों का हर दाना

    आखिर इसकी वजह क्या है, इसका जवाब मुरैना एनलायसिस लैब के केमिस्ट ललित बंसल देते हैं, इस बार सरसों का दाना बड़ा है, चमकीला है। इसके चलते तेल भी ज्यादा निकल रहा है। सरसों के दाने में यह बदलाव कैसे आया, इस बारे में आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक संदीप सिंह तोमर बताते हैं कि इस बार बेमौसम की बारिश नहीं हुई और आ‌र्द्रता नहीं बढ़ने से सरसों में तना सड़क (पोलियो) रोग की शिकायत नहीं हुई। तापमान अनुकूल रहा। बादल नहीं मंडराने से पहली बार सरसों में माहू (एफिड) कीट भी नहीं लगा। किसानों ने अपनी ही फसल के बीज की जगह अच्छी गुणवत्ता के बीज भी बोए थे। इन सब कारणों से सरसों के दाने में तेल की मात्रा बढ़ी है।

    यह बीज बोए थे किसानों ने

    मध्य प्रदेश में केवल मुरैना में ही भारत सरकार की अखिल भारतीय समन्वित राई सरसों परियोजना चलाई जा रही है। इसके तहत किसानों को उन्नत किस्म के बीज उपलब्ध कराए जाते हैं। जिले में अधिकांश किसानों ने जवाहर मस्टर्ड (जेएम), राजविजय मस्टर्ड (आरवीएम) एवं राजविजय तोड़िया (आरवीटी) किस्म के बीज बोए थे।