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    डिजिटल कंपनियों के लिए बड़ी राहत, केंद्र सरकार ने हटाई ये अड़चन; अमेरिका समेत कई देशों ने उठाया था मुद्दा

    Digital Personal Data Protection Act 2023 केंद्र सरकार ने चर्चित डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन एक्ट (डीपीडीपी) के कई नियमों को स्पष्ट किया है जिसमें डिजिटल कंपनियों को बड़ी राहत दी गई है। गौरतलब है कि यह कानून अगस्त 2023 में केंद्र सरकार की तरफ से संसद में पारित किया गया था। सरकार ने अब इसे लेकर पूछे जाने वाले सवालों (एफएक्यू) और उनके जवाबों की सूची जारी की है।

    By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Sun, 05 Jan 2025 11:30 PM (IST)
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    सरकार ने कानून से जुड़े सवालों और उनके जवाबों की सूची जारी की है। (File Imae)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत में डिजिटल सेवा देने वाली ई-कॉमर्स, ई-गेमिंग या सोशल मीडिया कंपनियां पर अपने ग्राहकों के पर्सनल डाटा को भारत में ही रखने की कोई बाध्यता नहीं होगी। वैसे इस तरह की बाध्यता अभी भी नहीं है।

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    अगस्त, 2023 में केंद्र सरकार की तरफ से संसद में पारित डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन एक्ट (डीपीडीपी) के जो नियम अब सामने आये हैं, उसमें कहा गया है कि डीपीडीपी कानून में कंपनियों पर सारे पर्सनल डाटा को भारत में रखने की कोई बाध्यता नहीं है। भारतीय ग्राहकों के जो डाटा बाहर इन कंपनियों ने रखा हुआ है, उसको वह किसे ट्रांसफर करेंगे, इसको लेकर भी नियमों को उदार रखा गया है।

    सरकार ने जारी किया एफएक्यू

    सरकार ने इस कानून से जुड़े बार-बार पूछे जाने वाले सवालों (एफएक्यू) और उनके जवाबों की सूची जारी की है, जिसमें उक्त जानकारी दी गई है। इसमें यह भी बताया गया है कि कुछ मामलों में भारतीय ग्राहकों के बाहर संरक्षित किये गये डाटा को दूसरों को ट्रांसफर किये जाने पर प्रतिबंध है। किसी व्यक्ति की खास तौर पर संरक्षित डाटा को ट्रांसफर करने करने पर प्रतिबंध लगाने का फैसला एक समिति करेगी।

    सनद रहे कि भारत में पर्सनल डाटा को संरक्षित रखने को लेकर यह मुद्दा काफी लंबे समय से चल रहा है कि डिजिटल आधारित कंपनियों को भारत में होने वाले सारे पर्सनल डाटा को भारत में ही रखने के लिए बाध्य किया जाए। भारत सरकार की तरफ से इस मांग को आगे भी बढ़ाया गया था, लेकिन बहु्राष्ट्रीय डिजिटल कंपनियों को यह रास नहीं आया और इस बात की सूचना है कि अमेरिका व कुछ दूसरे विकसित देशों ने भारत के साथ द्विपक्षीय बैठकों में इस मुद्दे को उठाया था।

    ठोस कदम नहीं उठाने जा रही सरकार

    अब स्पष्ट है कि सरकार इस बारे में कठोर कदम नहीं उठाने जा रही है। बताया जा रहा है कि भारत के डिजिटल इको-सिस्टम को प्रतिस्प‌र्द्धी बनाए रखने के लिए सरकार में इसको लेकर आम राय बनी है। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की तरफ से जारी एफएक्यू में यह भी स्पष्ट किया गया है कि डिजिटल कंपनियों की छोटी मोटी गलतियों को लेकर भारी-भरकम अर्थदंड लगाने की भी कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है।

    किसी कंपनी पर क्या जुर्माना लगाया जाता है, यह उसकी गलतियों की अवधि-प्रकार-गंभीरता, प्रकृति, दोबारा गलती नहीं हो इसके लिए उठाये गये कदमों आदि के आधार पर तय होगा। जो भी जुर्माना लगाया जाएगा वह उक्त गलती के अनुपात में व उपयुक्त होगा। इस अर्थदंड को हटाने के लिए भी कंपनियों को उपयुक्त बॉडी के समक्ष अपील करने का अधिकार होगा।

    250 करोड़ तक का अर्थदंड लगाने का था प्रावधान

    सनद रहे कि जब डीपीडीपी एक्ट पारित करवाने की तैयारी चल रही थी, तब यह बताया गया था कि इसमें सोशल मीडिया कंपनियों पर नियमों के उल्लंघन के मामले में 250 करोड़ रुपये तक का अर्थदंड लगाने का प्रावधान होगा। डीपीडीपी एक्ट का ड्राफ्ट माइगोव पोर्टल पर है और कोई भी व्यक्ति इससे जुड़े प्रावधानों पर अपनी राय 18 फरवरी, 2025 तक दे सकता है। उसके बाद इसको अंतिम रूप दिया जाएगा।