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    सहयोग पोर्टल को सेंसरशिप टूल बताने पर केंद्र ने जताई आपत्ति, एक्स के दावे को बताया बेबुनियाद; जानिए पूरा मामला

    Updated: Sat, 29 Mar 2025 04:45 PM (IST)

    सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स और भारत सरकार के बीच डिजिटल सेंसरशिप को लेकर विवाद अब कर्नाटक हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। एक्स के आरोपों को केंद्र सरकार ने ...और पढ़ें

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    एक्स के दावे को केंद्र सरकार ने बताया बेबुनियाद। (फोटो- जागरण ग्राफिक्स)

    पीटीआई, बेंगलुरु। मशहूर उद्योगपति एलन मस्क के स्वामित्व वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स और भारत सरकार के बीच डिजिटल सेंसरशिप को लेकर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। ये विवाद अब कर्नाटक हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। कर्नाटक हाईकोर्ट में केंद्र सरकार ने एक हलफनामा पेश किया है और एक्स के कई दावे को खारिज किया है।

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    केंद्र ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स द्वारा सहयोग पोर्टल को सेंसरशिप टूल बताए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है और इस दावे को दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय बताया है।

    जानिए पूरा विवाद

    दरअसल, ये पूरा मामला अभिव्यक्ति की आजादी और डिजिटल रेगुलेशन से जुड़ा हुआ है। एक्स द्वारा काफी समय से केंद्र सरकार पर अति-नियंत्रण का आरोप लगाया जाता रहा है। हालांकि, केंद्र सरकार ने साफ तौर पर कहा है कि केवल डिजिटल स्पेस को सुरक्षित रखने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाए जाते रहे हैं।

    एक्स ने लगाए हैं ये आरोप

    जानकारी दें कि एक्स ने हाल के दिनों में केंद्र सरकार के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट में मुकदमा दायर किया था। इस याचिका में एक्स ने आरोप लगाया कि भारत सरकार, आईटी कानून की धारा 69(ए) का दुरुपयोग करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। एक्स का आरोप है कि बिना किसी उचित प्रक्रिया अपनाए ही ऑनलाइन कंटेंट को ब्लॉक किया जा रहा है। एक्स ने यह भी दावा किया है कि इससे ऑनलाइन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर असर पड़ रहा है।

    सहयोग पोर्टल को लेकर भी एक्स ने उठाए सवाल

    उधर, एक्स ने सहयोग पोर्टल को लेकर भी आरोप लगाए हैं। एक्स का मुख्य आरोप है कि सहयोग पोर्टल के माध्यम से सरकार डायरेक्ट कंटेंट ब्लॉक करने के लिए कर रही है। इससे भी आईटी प्रवधानों का उल्लंघन हो रहा है।

    केंद्र सरकार ने दाखिल किया हलफनामा

    • एक्स के दावे पर केंद्र सरकार ने हलफनामा पेश किया है। कर्नाटक हाईकोर्ट के समक्ष पेश किए गए हलफनामे में सरकार ने एक्स के आरोपों को खारिज किया है। केंद्र ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स द्वारा सहयोग पोर्टल को सेंसरशिप टूल के रूप में वर्णित करने पर कड़ी आपत्ति जताई है, तथा इस दावे को दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय बताया है।
    • केंद्र ने भारत के सूचना-अवरोधन ढांचे को चुनौती देने वाली अपनी याचिका में एक्स कॉर्प द्वारा किए गए दावों का खंडन किया। सरकार ने दावा किया कि याचिकाकर्ता ने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, विशेष रूप से धारा 69ए और 79(3)(बी) के प्रावधानों की गलत व्याख्या की है।
    • सरकार ने तर्क दिया कि धारा 69ए स्पष्ट रूप से केंद्र को विशिष्ट परिस्थितियों में अवरोधन आदेश जारी करने की अनुमति देती है और ऑनलाइन सामग्री प्रतिबंध के लिए कई सुरक्षा उपाय प्रदान करती है।

    सहयोग पोर्टल का सरकार ने किया बचाव

    एक्स द्वारा उठाई गई चिंताओं को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार ने सहयोग पोर्टल का बचाव किया है। केंद्र ने जोर देकर कहा कि पोर्टल गैरकानूनी ऑनलाइन सामग्री के खिलाफ त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए एक संरचित मंच प्रदान करता है और मध्यस्थों और जांच अधिकारियों दोनों को लाभान्वित करता है।

    एक बयान में कहा गया है कि सहयोग को सेंसरशिप टूल के रूप में लेबल करना भ्रामक है। ऐसा करके, याचिकाकर्ता गलत तरीके से खुद को मध्यस्थ के बजाय एक कंटेंट निर्माता के रूप में पेश कर रहा है। एक्स जैसे वैश्विक मंच से ऐसा दावा बेहद खेदजनक और अस्वीकार्य है।

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