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    Data Protection Bill: केंद्र सरकार संसद के आगामी सत्र में लाएगी नया डाटा प्रोटेक्शन बिल, सुप्रीम कोर्ट में दी जानकारी

    By AgencyEdited By: Amit Singh
    Updated: Fri, 30 Sep 2022 04:30 AM (IST)

    केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि संसद के आगामी सत्र में वह नया डाटा प्रोटक्शन बिल लाएगी। नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना सरकार क ...और पढ़ें

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    संसद के आगामी सत्र में आएगा नया डाटा प्रोटेक्शन बिल

    नई दिल्ली, एएनआइ: केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि संसद के आगामी सत्र में वह नया डाटा प्रोटक्शन बिल लाएगी। नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना सरकार की प्राथमिकता है। इसके बाद पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने मामले की सुनवाई आगामी 17 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी। सुनवाई कर रही पीठ में जस्टिस केएफ जोसेफ, जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस ऋषिकेश राय और जस्टिस सीटी रविकुमार शामिल हैं।

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    छात्राओं की याचिका पर कोर्ट में सुनवाई

    संविधान पीठ दो छात्राओं कर्मन्या सिंह सरीन और श्रेया सेठी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें वाट्सएप की 2021 की गोपनीयता नीति को चुनौती दी गई है कि वह अपनी मूल कंपनी फेसबुक और अन्य के साथ उपयोगकर्ताओं का डाटा शेयर करेगी। याचिकाकर्ताओं ने इसे अपनी निजता और अभिव्यक्ति का हनन बताया है।

    जल्द नया विधेयक लाएगी सरकार

    केंद्र की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया कि सरकार पहले ही पुराने डाटा संरक्षण विधेयक को वापस ले चुकी है और इस संबंध में जल्द नया विधेयक लाया जाएगा। मेहता ने अदालत से कहा कि सरकार का रुख स्पष्ट है कि भारतीय उपयोगकर्ताओं के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता है। पीठ ने कहा कि मामला सालों से लंबित है और अगर भारत सरकार कानून बनाने की इच्छुक होती तो वह इसे लागू कर सकती थी।

    भारतीय उपयोगकर्ता अपने मौलिक अधिकारों से वंचित

    याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने पीठ को बताया कि भारतीय उपयोगकर्ता अपने मौलिक अधिकारों से वंचित हैं और अन्य देशों विशेष रूप से यूरोपीय संघ में संचालित एक ही मंच में गोपनीयता के उच्च मानक हैं मगर वे भारत में नहीं हैं। इस तरह वाट्सएप दोहरी नीति अपना रहा है। वाट्सएप की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा कि यूरोपीय देशों के अपने कानून हैं जो वहां लागू होते हैं और भारत में कंपनी मौजूदा कानून का पालन करती है।