उच्च शिक्षण संस्थानों को निखारने केंद्र ने बढ़ाए कदम, बनेगी पांच और दस वर्षीय योजना
केंद्र सरकार ने उच्च शिक्षण संस्थानों को बेहतर बनाने के लिए एक नई पहल की है। इसके तहत, पांच और दस वर्षीय योजनाएं बनाई जाएंगी, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता ...और पढ़ें

उच्च शिक्षण संस्थानों को निखारने की पहल।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विश्वस्तरीय रैंकिंग में दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों में शामिल विदेशी विश्वविद्यालय की देश में बढ़ती दस्तक के साथ ही शिक्षा मंत्रालय ने भी अपने विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को निखारने की पहल तेज कर दी है। इस दिशा में जो अहम पहल शुरू की गई है, उनमें इन्हें लेकर पांच व दस वर्षों को लक्ष्य करते हुए योजनाएं तैयार की जा रही है। जिनका उद्देश्य अपने उच्च शिक्षण संस्थानों को विदेशी विश्वविद्यालयों के मुकाबले खड़ा करना है।
साथ ही वर्ष 2035 तक देश के उच्च शिक्षा के सकल नामांकन अनुपात ( जीइआर ) को 50 प्रतिशत तक पहुंचना है। जो देश को विकसित देशों की श्रेणी में खड़ा होने के लिए भी जरूरी है। शिक्षा मंत्रालय ने यह पहल तब तेज की है जब करीब दर्जन भर नियामकों में बिखरी उच्च शिक्षा को एक नियामक के दायरे में लाने की पहल आगे नहीं बढ़ पा रही है। हालांकि इसके गठन का ऐलान भी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में ही की किया गया था। जो जुलाई 2020 में आयी थी।
मंत्रालय का मानना है कि इस नियामक का गठन जब होगा , तब देखा जाएगा, लेकिन इससे पहले वह एनईपी की बाकी पहलों को उच्च शिक्षण संस्थानों में लागू करना चाहती है। इनमें किसी कोर्स को बीच में बीच में कभी भी छोड़ने और शुरू करने, उद्योगों की मांग के आधार पर नए-नए कोर्सों को शुरू करने, शोध व नवाचार की गतिविधियों को बढ़ाने, भारतीय ज्ञान परंपरा को प्रत्येक कोर्सों के साथ जोड़ने, एक साथ दो कोर्सों की पढ़ाई करने जैसी पहल शामिल है।
मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक अभी ये पहल सिर्फ केंद्रीय विश्वविद्यालय तक ही सीमित है, जिनकी संख्या में सिर्फ पचास ही है। जबकि मौजूदा समय में देश में करीब 12 सौ विश्वविद्यालय और करीब 50 हजार कॉलेज है। ऐसे में राज्यों के साथ मिलकर केंद्र प्रत्येक विश्वविद्यालय को लेकर पांच व दस वर्षीय योजना बनाने में जुटी है।
मंत्रालय से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक इन योजना में उच्च शिक्षण संस्थानों की क्षमता बढ़ाने, साथ ही ऐसे कोर्सों को शुरू जिनकी स्थानीय स्तर पर मांग है। यानी कोई विश्वविद्यालय या उच्च शिक्षण संस्थान यदि ऐसे क्षेत्र में स्थिति है, जहां पर्यटन की गतिविधियां ज्यादा है, तो उन्हें पर्यटन से जुड़े नए कोर्स डिजाइन करने के सुझाव दिए जा सकते है। इसे लेकर उद्योगों के साथ भी देश के प्रत्येक क्षेत्र की मैपिंग की जा रही है।
इस दौरान इस संस्थानों को तय योजना के मुताबिक आगे बढ़ने के लिए वित्तीय और विशेषज्ञ मदद भी दी जाएगी। इनमें ग्रामीण व दूर- दराज क्षेत्रों में मौजूदा उच्च शिक्षण संस्थानों को लेकर विशेष योजना बनाई जा रही है। जिनमें गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने व उनमें पढ़ाने वाले शिक्षकों को प्रशिक्षण देने जैसी योजना भी बनाई जा रही है।

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