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    'देश में एक साथ चुनाव कोई नई बात नहीं', बिल के विरोध में उतरा विपक्ष तो सरकार ने रखे आंकड़े

    वन नेशन-वन इलेक्शन से जुड़ा बिल केंद्र सरकार ने लोकसभा में पेश कर दिया है। वोटिंग के बाद बिल को जेपीसी के पास चर्चा के लिए भेज दिया गया है। वहीं मंगलवार को इस संबंध में बयान जारी कर सरकार ने कहा है कि यह कॉन्सेप्ट देश के लिए नया नहीं है। बयान में कहा गया है कि देश में शुरुआती चार चुनाव एक साथ ही हुए थे।

    By Edited By: Updated: Tue, 17 Dec 2024 06:01 PM (IST)
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    वन नेशन-वन इलेक्शन पर सरकार ने बयान जारी कर अपना पक्ष रखा है (फोटो: पीटीआई)

    पीटीआई, नई दिल्ली। लोकसभा में 'एक देश-एक चुनाव' से जुड़ा बिल पेश होने के बाद विपक्ष ने इसका कड़ा विरोध किया। इस पर केंद्र सरकार ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि देश के लिए ये कोई नया कॉनसेप्ट नहीं है।

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    इसमें कहा गया कि संविधान लागू होने के बाद 1951 से 1967 तक देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही कराए गए थे। सरकार ने कहा कि 1951-52 में जब देश में पहली बार चुनाव हुए थे, तो लोकसभा और राज्यों की विधानसभा के लिए एक ही साथ वोट डाले गए थे।

    4 बार साथ हुए चुनाव

    बयान के मुताबिक, 'यही प्रक्रिया 1957, 1962 और 1967 में भी जारी रही। हालांकि 1968 और 1969 में कुछ राज्यों की विधानसभा के कार्यकाल पूर्ण होने से पूर्व ही भंग हो जाने पर यह क्रम टूट गया। वहीं 1970 में लोकसभा के चुनाव भी पहले करा लिए गए।'

    सरकार ने कहा कि पहली, दूसरी और तीसरी लोकसभा ने अपने 5 वर्षों का कार्यकाल पूरा किया, लेकिन पांचवीं लोकसभा का कार्यकाल इमरजेंसी के कारण 1977 तक बढ़ गया। तब से लेकर अब तक, केवल कुछ लोकसभा का कार्यकाल ही 5 वर्षों तक चल पाया, जबकि छठवीं, सातवीं, नौवीं, ग्यारहवीं, बारहवीं और 13वीं लोकसभा समय से पहले ही भंग हो गई।

    विधानसभाएं हुईं समय पूर्व भंग

    बयान में ये भी कहा गया कि राज्य की विधानसभाओं को भी यही समस्या झेलनी पड़ी, जिसमें कुछ को समय से पूर्व भंग कर दिया गया, वहीं कुछ का कार्यकाल बढ़ाना पड़ा। इन्हीं वजहों से एक साथ हो रहे चुनाव का क्रम बिगड़ गया और वर्तमान में हर समय चुनाव होते रहने जैसी स्थिति पैदा हो गई।

    एक साथ चुनाव के पक्ष में सरकार

    वन नेशन-वन इलेक्शन पर बनी हाई लेवल कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया कि एक साथ चुनाव से शासन चलाने में निरंतरता बनी रहती है। अभी देश में हर समय चुनाव होते रहते हैं। इससे केंद्र और राज्य सरकार समेत राजनीतिक पार्टियों और उनके नेताओं का ध्यान शासन से ज्यादा चुनाव की तैयारियों पर ज्यादा होता है।

    ऐसे में बयान में वन नेशन-वन इलेक्शन का समर्थन करते हुए कहा गया है कि इससे सरकार का ध्यान विकास के कार्यों पर लगेगा और जनहित के कामों में तेजी आएगी।