Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Sammed Shikharji: सम्मेद शिखरजी पर केंद्र का फैसला, पारसनाथ में नहीं होंगी पर्यटन एवं इको टूरिज्म गतिविधियां

    By AgencyEdited By: Sonu Gupta
    Updated: Thu, 05 Jan 2023 09:45 PM (IST)

    झारखंड के पारसनाथ में स्थित जैन समुदाय के धार्मिक तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर को केंद्र ने इको सेंसेटिव जोन घोषित किए जाने के अपने आदेश को गुरुवार को वापस ले लिया। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि अब यह पर्यटन क्षेत्र नहीं होगा।

    Hero Image
    सम्मेद शिखरजी पर केंद्र का फैसला, पारसनाथ में नहीं होंगी पर्यटन एवं इको टूरिज्म गतिविधियां। फाइल फोटो।

    राज्य ब्यूरो, रांची। केंद्र सरकार ने जैन धर्मावलंबियों के प्रसिद्ध तीर्थस्थल पारसनाथ में पर्यटन व इको टूरिज्म की गतिविधियों पर रोक लगा दी है। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने गुरुवार को इस संबंध में आदेश जारी किया। पारसनाथ (सम्मेद शिखर) को पर्यटन क्षेत्र घोषित करने के विरोध में जैन समाज के व्यापक आंदोलन तथा इको सेंसेटिव जोन घोषित किए जाने के आदेश वापस लेने की लगातार हो रही मांग को देखते हुए केंद्र ने यह निर्णय लिया। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने झारखंड सरकार को पत्र लिखकर जैन तीर्थस्थल की पवित्रता बरकरार रखने और पर्वत क्षेत्र में मांस-मदिरा और शराब की बिक्री व सेवन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पर्वत, वन संपदा और पशु-पक्षियों से छेड़छाड़ पर लगाई जाए प्रतिबंध

    गुरुवार को भारत सरकार के वन महानिरीक्षक (वन्य जीव) रोहित तिवारी की ओर से झारखंड के वन एवं पर्यावरण विभाग के अपर मुख्य सचिव एल खियांग्ते को भेजे गए पत्र में इस आदेश को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। पत्र में कहा गया है कि पर्वत, वन संपदा और पशु-पक्षियों से छेड़छाड़ पर प्रतिबंध लगाई जाए तथा पारसनाथ पर्वत पर अनावश्यक कैपिंग, ट्र्रैकिंग आदि गतिविधियों पर पूरी तरह रोक को सुनिश्चित किया जाय। साथ ही राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में 21 दिसंबर को जारी किए गए प्रतिबंधों को भी कड़ाई से लागू करने को कहा है। इसके अलावा केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से 2019 में पारसनाथ क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन घोषित किए जाने को लेकर जारी अधिसूचना में शामिल पर्यटन और इको टूरिज्म गतिविधियों पर रोक लगाते हुए इससे संबंधित कोई भी काम नहीं करने को कहा है।

    निगरानी समिति में जैन समाज के दो व अनुसूचित जनजाति के एक सदस्य को करें शामिल

    केंद्र ने राज्य सरकार को पारसनाथ की निगरानी समिति में जैन समाज के दो सदस्यों तथा स्थानीय जनजाति समुदाय के एक सदस्य को भी स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने को कहा है, ताकि उनकी उचित भागीदारी हो। पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत यह निगरानी समिति इको सेंसेटिव जोन की अधिसूचना के प्रविधानों को सख्ती से अनुपालन कराने को लेकर गठित की गई है।

    क्या है मामला?

    जैन समाज वर्ष 2019 में केंद्र व राज्य सरकार द्वारा जारी एक-एक अधिसूचना का विरोध कर रहा है। केंद्र ने दो अगस्त 2019 को अधिसूचना जारी कर पारसनाथ के एक भाग को इको सेंसेटिव जोन के रूप में घोषित कर दिया था, जिसके तहत वहां इको टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा सकता था। वहीं, राज्य सरकार ने 22 फरवरी 2019 को अधिसूचना जारी कर पारसनाथ को अंतरराष्ट्रीय महत्व का पर्यटन स्थल घोषित कर दिया। जैन समाज का कहना है कि पर्यटन क्षेत्र घोषित होने से वहां मांस-मदिरा को उपयोग होना शुरू हो जाएगा। राज्य सरकार का कहना है कि वहां छोटी-मोटी सुविधाएं बहाल करने के लिए पर्यटन क्षेत्र घोषित करना जरूरी था। राज्य सरकार अब उसे धार्मिक पर्यटन क्षेत्र के रूप में घोषित करने को तैयार है।

    इन गतिविधियों की भी नहीं होगी अनुमति-

    • तेज संगीत बजाना
    • लाउडस्पीकर का उपयोग करना
    • पवित्र स्थल, स्मारक, मंदिर, झीलें, चट्टाने, गुफाएं, पौधों एवं जानवरों को नुकसान पहुंचाने वाले कार्य।
    • पालतू जानवरों के साथ आना
    • अनधिकृत कैंपिंग तथा ट्रैकिंग

    comedy show banner
    comedy show banner