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केएम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश वापस

कानून मंत्रालय ने गुरुवार सुबह इंदु मल्होत्रा को जज नियुक्त करने का आदेश जारी कर दिया। वह वकील से सीधे सुप्रीम कोर्ट का जज बनने वाली पहली महिला हैं।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Thu, 26 Apr 2018 10:51 PM (IST)Updated: Thu, 26 Apr 2018 11:32 PM (IST)
केएम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश वापस
केएम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश वापस

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार ने कोलेजियम की सिफारिश मानते हुए वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाने को मंजूरी दे दी है। लेकिन, उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ की सिफारिश पुनर्विचार के लिए वापस कर दी गई है। कोलेजियम ने इंदू मल्होत्रा और जस्टिस जोसेफ के नाम इसी साल जनवरी में सरकार को भेजे थे। कांग्रेस ने जस्टिस जोसेफ की पदोन्नति नहीं करने को मोदी सरकार की बदले की राजनीति करार दिया है।

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कानून मंत्रालय ने गुरुवार सुबह इंदु मल्होत्रा को जज नियुक्त करने का आदेश जारी कर दिया। वह वकील से सीधे सुप्रीम कोर्ट का जज बनने वाली पहली महिला हैं। जस्टिस जोसेफ उत्तराखंड में 2016 में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के केंद्र के आदेश को खारिज करने के अपने फैसले के बाद चर्चा में आए थे। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा को पत्र लिखकर सरकार के फैसले से अवगत कराया। कानून मंत्री ने कहा कि अभी कई हाई कोर्टो का प्रतिनिधित्व सुप्रीम कोर्ट में नहीं है।

इनमें कलकत्ता हाई कोर्ट से लेकर गुजरात, राजस्थान, झारखंड समेत सिक्किम, मणिपुर और मेघालय जैसे हाई कोर्ट शामिल हैं। कोलेजियम की सिफारिश को मानते हुए जोसेफ को नियुक्त किया जाए, तो सुप्रीम कोर्ट में केरल हाई कोर्ट से दो जज हो जाएंगे। वैसे भी देश के सभी हाई कोर्टो की वरिष्ठता सूची को देखें, तो जोसेफ 42वें स्थान पर आते हैं। वरिष्ठता क्रम में उनके ऊपर हाई कोर्ट के 11 मुख्य न्यायाधीश हैं। पत्र के मुताबिक जोसेफ की नियुक्ति की सिफारिश लौटाने को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वीकृति भी प्राप्त है। कानून मंत्रालय ने कहा है कि उच्च न्यायपालिका में हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के स्तर पर भी केरल हाई कोर्ट का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है।

उत्तराखंड हाई कोर्ट में जस्टिस जोसेफ के अलावा छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीबी राधाकृष्णन भी मूलत: केरल हाई कोर्ट से ही हैं। केरल हाई कोर्ट के मौजूदा चीफ जस्टिस एंटनी डोमिनिक भी केरल हाई कोर्ट से ही आते हैं। ऐसे में उसी हाई कोर्ट से एक और जज की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की सिफारिश तर्कसंगत नहीं लगती। सरकार ने इस बात पर भी चिंता जताई है कि सुप्रीम कोर्ट में वर्तमान में अनुसूचित जाति और जनजाति का प्रतिनिधित्व नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में अनुसूचित जाति के आखिरी जज केजी बालाकृष्णन थे, जो मई 2010 में सेवानिवृत्त हो गए थे।

 सरकार का फैसला दायरे में : सीजेआइ

कोलेजियम द्वारा भेजे गए दो नामों में से एक को स्वीकार करने व दूसरे को नामंजूर करने के सरकार के कदम को प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) दीपक मिश्रा ने उचित बताया है। उन्होंने कहा कि कार्यपालिका (सरकार) ने अपने दायरे में रहकर यह फैसला किया है।

मोदी सरकार में दूसरा मामला

मोदी सरकार में कोलेजियम की सिफारिश लौटाने का यह दूसरा मामला है। इससे पहले जून 2014 में वरिष्ठ वकील और पूर्व सॉलिसीटर जनरल गोपाल सुब्रह्माण्यम के मामले में भी ऐसा हो चुका है। तब तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा ने सरकार को लिखा था कि वह कोलेजियम की सिफारिश के किसी नाम को अलग नहीं कर सकती। लेकिन, सरकार ने सुब्रह्माण्यम को जज बनाने से इन्कार करते हुए कोलेजियम के अन्य नामों की सिफारिशें मान ली थीं।

इंदिरा जयसिंह की अर्जी खारिज

सरकार के फैसले के खिलाफ वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। लेकिन, जस्टिस दीपक मिश्रा ने इंदु मल्होत्रा की नियुक्ति पर रोक की उनकी अर्जी खारिज कर दी। जस्टिस मिश्रा ने उनसे कहा कि एक महिला वकील सुप्रीम कोर्ट की जज बन रही हैं और आप इसे रोकने को कह रही हैं? इस पर इंदिरा जयसिंह ने कहा कि हम इंदु मल्होत्रा के खिलाफ नहीं हैं। हम तो चाहते हैं कि जस्टिस जोसेफ का नाम मंजूर होने तक इसे रोका जाए। इस पर जस्टिस मिश्रा ने कहा, 'यह याचिका अकल्पनीय है। ऐसा अब तक सुना नहीं गया है।'

कांग्रेस ने उत्तराखंड से जोड़ा

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरेजवाला ने कहा कि उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जोसेफ देश के सबसे वरिष्ठ मुख्य न्यायाधीश हैं। इसके बावजूद मोदी सरकार उन्हें सुप्रीम कोर्ट भेजने से इन्कार कर रही है। क्या यह उत्तराखंड में लगा राष्ट्रपति शासन रद करने का बदला है? भाजपा ने दिया जवाबभाजपा नेता और केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि न्यायपालिका की गरिमा को लेकर कांग्रेस के पास हमसे सवाल पूछने का नैतिक अधिकार नहीं है। कांग्रेस पार्टी का पूरा रिकॉर्ड ही ऐसी घटनाओं से भरा हुआ है, जिसमें न्यायपालिका से समझौता किया गया।
 


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