Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Caste Census: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, पिछड़े वर्गों की जाति जनगणना प्रशासनिक रूप से है कठिन

    By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By:
    Updated: Fri, 24 Sep 2021 07:24 AM (IST)

    केंद्र सरकार की ओर से सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण मंत्रालय के सचिव ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल किया है। उसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार ने जनवरी 2020 में अधिसूचना जारी कर 2021 की प्रस्तावित जनगणना के लिए कई तरह की सूचनाओं को एकत्र कराया था।

    Hero Image
    सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सचिव द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर हुआ हलफनामा

    नई दिल्ली, प्रेट्र। पिछड़े वर्ग की जाति आधारित जनगणना प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर कार्य है। इस तरह की सूचनाओं से दूर रहना बुद्धिमत्तापूर्ण नीतिगत फैसला है। केंद्र सरकार ने यह बात सुप्रीम कोर्ट में कही है। उल्लेखनीय है कि पिछड़े वर्ग के अंतर्गत आने वाली जातियों के लोगों की गणना की मांग को लेकर हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दस दलों के प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    केंद्र सरकार ने अपने शपथ पत्र में कहा है कि 2011 में हुई सामाजिक-आर्थिक और जाति आधारित जनगणना के आंकड़े गलतियों और अवास्तविक सूचनाओं से भरे हुए थे। यह शपथ पत्र महाराष्ट्र सरकार की उस याचिका के जवाब में दिया गया है, जिसमें राज्य की सामाजिक-आर्थिक और जाति आधारित जनगणना 2011 के मूल आंकड़े दिलवाने की मांग की गई है।

    याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार और जनगणना से संबंधित एजेंसियों से तमाम बार की मांग के बावजूद ये आंकड़े नहीं मिल पाए हैं। इसलिए शीर्ष न्यायालय में याचिका दायर करनी पड़ी है।

    केंद्र सरकार की ओर से सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण मंत्रालय के सचिव ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल किया है। उसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार ने जनवरी 2020 में अधिसूचना जारी कर 2021 की प्रस्तावित जनगणना के लिए कई तरह की सूचनाओं को एकत्र कराया था। ये सूचनाएं अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के संबंध में थीं। किसी अन्य वर्ग के संबंध में नहीं। कहा गया है कि जातिगत जनगणना का कार्य प्रशासनिक दृष्टि से जटिलताओं से भरा हुआ है। आजादी से पहले भी जब इस तरह की जनगणनाओं के प्रयास हुए तब भी पूर्ण और वास्तविक आंकड़े नहीं मिले।

    शपथ पत्र में कहा गया है कि भारत का रजिस्ट्रार जनरल कार्यालय कई वजहों से जातियों से संबंधित अन्य जानकारियां सार्वजनिक नहीं करता है। लेकिन जब 2011 में हुई जनगणना के आंकड़ों का अध्ययन किया गया तो पाया गया कि उन आंकड़ों में तकनीक आधारित खामियां हैं। ये खामीपूर्ण आंकड़े किसी मतलब के नहीं और अनुपयोगी हैं।

    comedy show banner
    comedy show banner