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देश के किसानों पर पीएम मोदी मेहरबान, बोले- आमदनी डबल करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध

किसानों के परिश्रम से खाद्यान्न और फल-सब्जियों का उतना उत्पादन हुआ है, जितना पहले कभी नहीं हुआ।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 20 Feb 2018 07:09 PM (IST)Updated: Tue, 20 Feb 2018 08:46 PM (IST)
देश के किसानों पर पीएम मोदी मेहरबान, बोले- आमदनी डबल करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध
देश के किसानों पर पीएम मोदी मेहरबान, बोले- आमदनी डबल करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए जरूरी कानून बनाने और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार हर संभव प्रयास करेगी। कृषि क्षेत्र की कानूनी अड़चनें दूर करने के लिए दिये गये सुझावों पर प्रधानमंत्री ने विचार करने का भरोसा दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा भारतीय कृषि का गौरव लौटाएंगे और 2022 तक लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सारे रास्ते अपनाएंगे। मोदी मंगलवार को यहां आयोजित दो दिवसीय कृषि राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि कार्यशाला से निकले निकले सात सूत्रों का जिक्र करते हुए कहा कि उसकी प्रमाणिकता जांचकर लागू किया जाएगा। सरकारी दायरे से अलग धरती से जुड़े लोगों के साथ उनकी समस्याओं पर व्यावहारिक विचार-विमर्श किया गया है। नीति आयोग के नेतृत्व में संबंधित सभी मंत्रालयों के अफसरों के साथ मिलकर उस पर अमल किया जाएगा।

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कृषि सुधार के लिए नये कानूनों पर होगा विचार

प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करने की प्रतिबद्धता फिर जताई। इसके लिए एग्रो क्लामेटिक जोन के हिसाब से वहां के किसानों के हित में योजनाएं चलाई जाएंगी। कृषि उत्पादों के मूल्यवर्धन पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने संपदा योजना का विस्तार से जिक्र किया। कृषि उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहित करने की राह में आ रही मुश्किलों के बारे में आई सिफारिशों पर मोदी ने कहा कि वैश्विक स्तर के नियम कानून गलत हैं।

'कृषि-२०२२' सम्मेलन के समापन समारोह में मोदी ने किया ऐलान

उन्होंने कहा कि दुनिया में सुगंधित कृषि उत्पादों की मांग बहुत बढ़ी है। भारत में इसकी बड़ी संभावनाएं हैं, जिसका दोहन किया जा सकता है। भारत अपने खुशबू से दुनिया में महक बिखेर सकता है। किसानों को समय पर जानकारी मुहैया कराना और मांग आधारित खेती के प्रति उन्हें प्रोत्साहित करना जरूरत है। किसानों को हर तरह की जानकारी मुहैया कराने के लिए डिजिटल प्लेटफार्म तैयार करने चाहिए। छोटे किसानों को कर्ज न मिलने की समस्या को दूर करने के लिए सभी 63000 सहकारी समितियों के कंप्युटरीकरण का कार्य तेजी से हो रहा है।किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए उनकी परंपरागत खेती के साथ अतिरिक्त आय के साधन सृजित करने होंगे। इनमें बागवानी, डेयरी, पोल्ट्री, मधुमक्खी पालन व सौर ऊर्जा जैसे क्षेत्रों से जोड़ना होगा। ग्रामीण मंडियों को विकसित करने की योजना के बारे में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस तरह की सिफारिश सौ साल पहले अंग्रेजों के जमाने में आई थी, जिसे अब हमे लागू करने का मौका मिला है। इन ग्रामीण मंडियों को ईनाम से जोड़ा जाएगा।

 देश को खाद्य सुरक्षा देने वाले किसानों की आय सुरक्षा खतरे में है

प्रधानमंत्री ने आम बजट में किये गये प्रावधानों को विस्तार से जिक्र करते हुए किसानों के हित में शुरु की गई योजनाओं के बारे में बताया। आगामी वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान देश की 50 फीसद खेती प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के दायरे में लाने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए चार प्रमुख क्षेत्रों पर काम कर रही है। खेती की लागत में कटौती, उसकी उपज का उचित मूल्य दिलाना, खलिहान से बाजार तक पहुंचने में उपज की होने वाली बर्बादी को रोकने और अतिरिक्त आय के साधन तैयार करने पर जोर है। खेती को समग्रता में देखते हुए बीज से बाजार तक के लिए योजनाएं तैयार की गई है।

प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले समय में खेती के साथ हुए सौतेला व्यवहार पर चुटकी लेते हुए कहा कि लंबी रस्सी में बांध दो तो बैल गोल गोल घूमता है। कृषि को इस तरह के बंधन से मुक्त किया जा रहा है। किसानों के हालत पर चिंता जताते हुए मोदी ने कहा कि देश की खाद्य सुरक्षा का ध्यान रखने वाले किसानों की अपनी आर्थिक सुरक्षा खतरे में हैं। तभी तो वह खेती छोड़कर कोई भी छोटा मोटा काम कर लेना चाहता है।

प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'कृषि 2022: किसानों की दोहरीकरण आय' विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले वर्ष तो हमारे किसानों के परिश्रम से खाद्यान्न और फल-सब्जियों का उतना उत्पादन हुआ है, जितना पहले कभी नहीं हुआ। ये हमारे देश के किसानों का सामर्थ्य है कि सिर्फ एक साल में देश में दाल का उत्पादन लगभग 17 मिलियन टन से बढ़कर लगभग 23 मिलियन टन हो गया है। किसान की उन्नति हो, किसान की आमदनी बढ़े, इसके लिए ‘बीज से बाजार तक’ फैसले लिए जा रहे हैं। उत्पादन में आत्मनिर्भरता के इस दौर में, पूरे इको सिस्टम को किसानों के लिए हितकारी बनाने का काम किया जा रहा है। किसानों को अलग-अलग संस्थाओं और बैंकों से कर्ज मिलने में दिक्कत न हो इसके लिए पिछले तीन वर्ष में कर्ज दी जाने वाली राशि साढ़े 8 लाख करोड़ रुपए से बढ़ाकर अब इस बजट में 11 लाख करोड़ रुपए कर दी गई है।

सोलर एनर्जी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किसानों की आय बढ़ाएगा। इसी को ध्यान में रखते हुए पिछले तीन साल में सरकार ने लगभग पौने तीन लाख सोलर पंप किसानों के लिए स्वीकृत किए हैं। लगभग ढाई हजार करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है। इससे डीजल पर होने वाले खर्च की भी काफी बचत हुई है।

भाइयों और बहनों, किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार ने चार अलग-अलग स्तरों पर फोकस किया:

पहला- ऐसे कौन-कौन से कदम उठाए जाएं जिनसे खेती पर होने वाला उनका खर्च कम हो?

दूसरा- ऐसे कौन-कौन से कदम उठाए जाएं जिससे उन्हें अपनी पैदावार की उचित कीमत मिले?

तीसरा- खेत से लेकर बाजार तक पहुंचने के बीच फसलों-फलों-सब्जियों की जो बर्बादी होती है, उसे कैसे रोका जाए?

चौथा- ऐसा क्या कुछ हो जिससे किसानों की अतिरिक्त आय हो।

यूरिया की सौ प्रतिशत नीम कोटिंग की वजह से यूरिया की Efficiency बढ़ी है और ये सामने आ रहा है कि अब उतनी ही जमीन के लिए किसानों को कम यूरिया डालना पड़ता है। कम यूरिया डालने की वजह से पैसे की बचत और ज्यादा पैदावार की वजह से अधिक कमाई। ये बदलाव यूरिया की नीम कोटिंग से आ रहा है।

सॉयल हेल्थ कार्ड की वजह से अनाज की पैदावार बढ़ रही है। देश के 19 राज्यों में हुई एक स्टडी में सामने आया है कि सॉयल हेल्थ कार्ड के आधार पर खेती करने की वजह से केमिकल फर्टिलाइजर के इस्तेमाल में 8 से 10 प्रतिशत की कमी आई है और उत्पादन में भी 5 से 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

सरकार ने तय किया कि दो-तीन दशकों से अटकी हुईं देश की 99 सिंचाई परियोजनाओं को तय समय में पूरा किया जाएगा। इसके लिए 80,000 करोड़ रुपए से अधिक का प्रावधान किया गया। इस साल के अंत तक लगभग 50 योजनाएं पूरी हो जाएंगी और बाकी अगले साल तक पूरा करने का लक्ष्य है।

जो काम 25-30 साल से अटका हुआ था, वो हम 25-30 महीने में पूरा कर रहे हैं। पूरी होती हर सिंचाई परियोजना देश के किसी न किसी हिस्से में किसान का खेती पर होने वाला खर्च कम कर रही है। PMKSY के तहत अब तक 20 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन को माइक्रो इरिगेशन के दायरे में लाया जा चुका है।

इस बजट में जिस Operation Greens का ऐलान किया है, वो भी नई सप्लाई चेन व्यवस्था से जुड़ा है। जैसे देश में दूध के क्षेत्र में अमूल मॉडल बहुत कामयाब रहा, लाखों किसानों की आय बढ़ाने वाला रहा, वैसे ही ऑपरेशन ग्रीन्स Tomato, Onion और Potato उगाने वाले किसानों के लिए लाभकारी रहेगा।

GrAM के तहत देश के 22 हजार ग्रामीण हाटों को जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ अपग्रेड किया जाएगा और इन्हें APMC और e-Nam प्लेटफॉर्म के साथ इंटीग्रेड कर दिया जाएगा। खेत के 5-15 किलोमीटर के दायरे में किसान के पास ऐसी व्यवस्था होगी, जो उसे देश के किसी भी मार्केट से कनेक्ट कर देगी। सरकार Farmer Producer Organization- FPO को बढ़ावा दे रही है। किसान अपने क्षेत्र में, अपने स्तर पर छोटे-छोटे संगठन बनाकर भी ग्रामीण हाटों और बड़ी मंडियों से जुड़ सकते हैं।

देश के अलग-अलग हिस्सों में अब इस तरह की मुहिम जोर पकड़ रही है जो Agriculture Waste से Wealth के लिए काम कर रही है। Coir Waste हो, Coconut Shells हों, Bamboo Waste हो, फसल कटने के बाद खेत में बचा residue हो, इन सभी से आमदनी बढ़ सकती है।


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