पेरारिवलन की दया याचिका पर राज्यपाल के फैसले का केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में किया बचाव, दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने फैसला किया सुरक्षित
केंद्र सरकार ने राजीव गांधी हत्याकांड में 30 साल से ज्यादा कारावास की सजा काट चुके एजी पेरारिवलन की दया याचिका राष्ट्रपति को भेजने के तमिलनाडु के राज्यपाल के फैसले का बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में बचाव किया। शीर्ष अदालत ने नौ मार्च को पेरारिवलन को जमानत दी थी।
नई दिल्ली, प्रेट्र: केंद्र सरकार ने राजीव गांधी हत्याकांड में 30 साल से ज्यादा कारावास की सजा काट चुके एजी पेरारिवलन की दया याचिका राष्ट्रपति को भेजने के तमिलनाडु के राज्यपाल के फैसले का बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में बचाव किया।
दया याचिका पर सिर्फ राष्ट्रपति को फैसले का अधिकार
कोर्ट में अतिरिक्त सालिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज ने जस्टिस एल. नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ को बताया कि केंद्रीय कानून के तहत दोषी ठहराए गए व्यक्ति की सजा में छूट, माफी और दया याचिका के संबंध में याचिका पर केवल राष्ट्रपति ही फैसला कर सकते हैं। इस पर पीठ ने केंद्र से सवाल किया कि अगर इस दलील को स्वीकार कर लिया जाए तो राज्यपालों द्वारा दी गई अब तक की छूट अमान्य हो जाएगी। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि यदि राज्यपाल पेरारिवलन के मुद्दे पर राज्य मंत्रिमंडल की सिफारिश मानने को तैयार नहीं हैं तो उन्हें फाइल पुनर्विचार के लिए वापस मंत्रिमंडल में भेज देनी चाहिए थी।
दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
शीर्ष अदालत ने मामले की दो घंटे तक सुनवाई की और पेरारिवलन द्वारा दायर याचिका पर एएसजी, तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी और याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। पीठ ने लिखित दलीलें दाखिल करने के लिए दो दिन का समय दिया है। शीर्ष अदालत ने पूर्व में कहा था कि तमिलनाडु के राज्यपाल पेरारिवलन की रिहाई पर राज्य मंत्रिमंडल के फैसले से बंधे हैं और राष्ट्रपति को दया याचिका भेजने की उनकी कार्रवाई को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि वह संविधान के खिलाफ किसी चीज पर आंखें बंद नहीं कर सकते। शीर्ष अदालत ने नौ मार्च को पेरारिवलन को जमानत दी थी।