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कश्मीर में भ्रष्टाचार के खिलाफ केंद्र की नकेल, पहली बार राज्य में गठित हुआ एसीबी

बैंक का चेयरमैन बनने के बाद परवेज नेंगरू ने सैंकड़ों शाखाओं की आंतरिक साज-सज्जा सुधारने के लिए 50 लाख से 1.5 करोड़ रुपये जारी किये थे जबकि इन पर 30 फीसद का खर्च आया था।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 10 Jun 2019 12:09 AM (IST)Updated: Mon, 10 Jun 2019 12:09 AM (IST)
कश्मीर में भ्रष्टाचार के खिलाफ केंद्र की नकेल, पहली बार राज्य में गठित हुआ एसीबी
कश्मीर में भ्रष्टाचार के खिलाफ केंद्र की नकेल, पहली बार राज्य में गठित हुआ एसीबी

नई दिल्ली, जेएनएन। आतंकवाद, अलगाववाद और उन तक फंड पहुंचाने वाले तंत्र के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के बाद जम्मू-कश्मीर में हाईप्रोफाइल भ्रष्ट अधिकारियों पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है। जम्मू-कश्मीर बैंक के चेयरमैन परवेज अहमद नेंगरू के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की कार्रवाई इसी कड़ी का हिस्सा है। ध्यान देने की बात यह है कि जम्मू-कश्मीर में पहली बार एसीबी का गठन कुछ महीने पहले ही किया गया है और दो महीने पहले एसीबी के प्रमुख की नियुक्ति हुई है।

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गृहमंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ लड़ाई के साथ-साथ घाटी में उच्च स्तर पर फैले भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के खिलाफ कार्रवाई भी उतनी ही जरूरी है ताकि वहां कानून का शासन पूरी तरह लागू किया जा सके और सरकारी योजनाओं का लाभ आम जनता तक पहुंच सके। उनके अनुसार जम्मू-कश्मीर बैंक का चेयरमैन बनने के बाद से ही परवेज अहमद नेंगरू ने भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद शुरू कर दिया था। यही नहीं केवल 14 साल में 12वीं पास करने वाले नेंगरू का मात्र 15 साल में एक सामान्य सीए से जम्मू-कश्मीर बैंक के चेयरमैन तक सफर संदेह के घेरे में है।

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार जम्मू-कश्मीर बैंक का चेयरमैन बनते ही परवेज अहमद नेंगरू ने अपने भतीजे मुजफ्फर को अपने आफिस में नियुक्त कर लिया था। मुजफ्फर को उसका खास आदमी माना जाता था। इसके बाद नेंगरू ने अपनी बहु शाजिया अम्बरीन को बैंक में प्रोबेशनरी अधिकारी बना दिया था, जो अभी हजरतबल शाखा की प्रमुख है। नेंगरू ने बैंक की दो शाखाओं को अपने और अपने ससुर के मकान में खोल दिया, जो बैंकिंग के लिहाज से उपयुक्त स्थान कतई नहीं है।

बैंक में कर्मचारियों और अधिकारियों के तबादले के लिए जमकर पैसे लिये जाते थे और बैंक का कार्मिक मैनेजर असलम गिलानी इसका सूत्रधार था, जो परवेज नेंगरू का खास आदमी माना जाता था। नेंगरू ने अपने दो रिश्तेदारों आसिफ बेग और मुहम्मद फाहिम को एचआर और बैंक के बोर्ड की जिम्मेदारी सौंप रखी थी। इसमें बैंक से दिये जाने वाले लोन भी शामिल थे। इसके साथ ही परवेज नेंगरू के दो अन्य रिश्तेदार फहीम नेंगरू और तसीन नेंगरू भी चेयरमैन के आफिस में था। परवेज नेंगरू की बहन का बेटा इफ्को टोकियो इंश्योरेंस में काम करता है। जम्मू-कश्मीर बैंक ने इफ्को टोकियो के साथ एक डील की है, इसमें नेंगरू की भूमिका संदेह के घेरे में है।

बात सिर्फ भाई-भतीजावाद तक सीमित नहीं थी। परवेज नेंगरू ने जम्मू-कश्मीर बैंक में भ्रष्टाचार की सभी सीमाएं पार कर दी थीं। चेयरमैन बनने के बाद परवेज नेंगरू ने सैंकड़ों शाखाओं की आंतरिक साज-सज्जा सुधारने के लिए 50 लाख से 1.5 करोड़ रुपये जारी किये थे, जबकि इन पर सचमुच में 30 फीसद का खर्च आया था। यह सारे काम अपने चुने हुए ठेकेदारों के मार्फत कराए गए थे। परवेज नेंगरू ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मंत्री फारूख अंद्राबी के 12वीं पास बेटे शमसुद्दीन अंद्राबी को सीधे बैंक में मैनेजर बनाकर भदेरवाह ब्रांच में नियुक्त कर दिया था।

इसी तरह बैंक के नियमों की धज्जियां उड़ाकर सैंकड़ों करोड़ रुपए के लोन बांटे गए और बार-बार डिफाल्ट करने वालों को भी ओवरड्राफ्ट की सुविधा दी गई। बड़े डिफाल्टर से वन टाइम सेटेलमेंट के नाम पर खूब रिश्वत ली गई। परवेज नेंगर ने श्रीनगर के रॉयल स्पि्रंग गोल्फ क्लब के सौंदर्यीकरण पर बैंक से सीएसआर से आठ करोड़ खर्च करने की अनुमति दे दी, जबकि इसका आम जनता से कोई लेना-देना नहीं है। जाहिर है एससीबी इन सभी मामलों की जांच कर रही है।

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