'कई राज्यों में लोकसभा सीटें कम हो जाएगी अगर...' 2027 में जनगणना कराए जाने पर कांग्रेस ने क्यों जताई नाराजगी?
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने 2027 में होने वाली जनगणना पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जनगणना में देरी से मोदी सरकार दक्षिणी राज्यों का प्रतिनिधित्व कम करना चाहती है। चिदंबरम ने कहा कि सरकार 2021 की जनगणना को टाल रही है ताकि परिसीमन के जरिए उत्तरी राज्यों को फायदा पहुंचाया जा सके।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रव्यापी जनगणना 2027 में कराए जाने की घोषणा के साथ ही लोकसभा सीटों के परिसीमन में दक्षिणी राज्यों की अनदेखी की सियासत गरमाए जाने की शुरूआत हो गई है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि जनगणना विलंब से कराने से साफ है कि इसके बाद परिसीमन होगा जिसमें मोदी सरकार दक्षिणी राज्यों का प्रतिनिधित्व कम करने और उत्तरी राज्यों की नुमाइंदगी बढ़ाने की भाजपा-आरएसएस की शरारतपूर्ण योजना को आगे बढ़ा रही है।
2022 या 2023 में क्यों नहीं हुई जनगणना: पी चिदंबरम
राष्ट्रीय जनगणना एक मार्च 2027 से कराने की केंद्र सरकार की घोषणा पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए चिदंबरम ने एक्स पोस्ट में इसमें हुई छह साल की देरी पर सवाल उठाते हुए कहा कि राष्ट्रव्यापी जनगणना 2021 में होनी चाहिए थी। कोविड-19 महामारी के कारण जनगणना स्थगित कर दी गई और हम इस वजह को समझते हैं। लेकिन 2022 या 2023 में जनगणना न करने का कोई कारण नहीं था।
लोकसभा चुनाव मई-जून 2024 में हुए। ऐसे में जनगणना 2024 में चुनाव के तुरंत बाद हो सकती थी।पूर्व गृहमंत्री ने जनगणना में विलंब के सरकार के मंसूबे पर सवाल उठाते हुए इसके लिए अपार्यप्त बजट आवंटन की ओर इशारा किया अैर कहा कि 2024-25 में बजट आवंटन 1000 करोड़ रुपए था लेकिन 2025-26 में इसे घटाकर 500 करोड़ रुपए कर दिया गया। यह जानते हुए कि 500 या 1000 करोड़ रुपये के बजट में राष्ट्रव्यापी जनगणना नहीं हो सकती ऐसा किया गया।
जनगणना 2027 में होगी इसलिए परिसीमन भी होगा
चिदंबरम ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 82 को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने 2021 के बाद जनगणना कराने की बाध्यता टाल दी है। 2026 के बाद विलंबित जनगणना से यह प्रावधान लागू हो जाएगा कि उसके तुरंत बाद परिसीमन किया जाएगा। इसीलिए 2027 में जनगणना कराने की घोषणा की गई है। चूंकि जनगणना 2027 में होगी इसलिए परिसीमन भी होगा। परिसमीमन में तमिलनाडु और कई राज्यों की लोकसभा में सीटें कम होंगी।
चिदंबरम ने आरोप लगाते हुए कहा कि पीएम मोदी दक्षिणी राज्यों का प्रतिनिधित्व कम करने और उत्तरी राज्यों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के आरएसएस-भाजपा के शरारती लक्ष्य को हासिल करने के लिए कदम-दर-कदम आगे बढ़ रहे हैं। जब परिसीमन का विषय पहली बार उठाया गया था तब मैंने इस अपवित्र रणनीति की ओर इशारा किया था।
अभी भी प्रभावित होने वाले राज्यों के सभी राजनीतिक दल आनुपातिक प्रतिनिधित्व (एक व्यक्ति, एक वोट) के आधार पर परिसीमन के खतरों से अवगत नहीं हैं। पूर्व गृहमंत्री ने कहा कि उन्हें खुशी है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 2027 में जनगणना और उसके तुरंत बाद परिसीमन के खतरों को स्पष्ट किया है।

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