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    Census 2027: जनगणना के साथ जुटाए जाएंगे NPR के भी आंकड़े, विपक्ष के रुख पर रहेगी नजर

    Updated: Thu, 05 Jun 2025 09:01 PM (IST)

    Census 2027 सरकार ने जनगणना और जातिगत गणना के साथ नेशनल पोपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) के आंकड़े जुटाने का निर्णय लिया है। 2019 में विपक्ष ने एनपीआर का विरोध किया था लेकिन 2023 में सीएए लागू होने पर विरोध नहीं हुआ। एनपीआर में छह महीने से अधिक समय से रहने वाले व्यक्ति की शिक्षा रोजगार और मूल स्थान जैसी जानकारी शामिल है।

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    जनगणना के साथ नेशनल पोपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) के आंकड़े भी जुटाए जाएंगे।(फाइल फोटो)

    नीलू रंजन, नई दिल्ली। सरकार ने जनगणना और जातिगत गणना के साथ ही नेशनल पोपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) के आंकड़े जुटाने का फैसला किया है। 2019 में विपक्षी दलों ने 2021 की प्रस्तावित जनगणना के साथ एनपीआर के आंकड़े जुटाने का जमकर विरोध किया था और विपक्ष शासित छह राज्यों की विधानसभाओं में इसके खिलाफ प्रस्ताव भी पारित हुआ था।

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    इस बार एनपीआर को लेकर विपक्ष के रूख को देखना दिलचस्प होगा। दरअसल 2019 में पारित नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ पूरे देश में जबरदस्त विरोध शुरू हो गया था और शाहिन बाग उसका प्रतीक बन गया था।

    उस समय सीएए के साथ ही एनपीआर भी निशाने पर आ गया था। विपक्ष शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों में एनपीआर के आंकड़े नहीं लेने देने का ऐलान तक कर दिया था।

    2023 में सरकार ने सीएए को लागू कर दिया

    दिल्ली, पुचुचेरी, मध्यप्रदेश, केरल, पंजाब और पश्चिम बंगाल की विधानसभाओं में तो इसके खिलाफ प्रस्ताव तक पारित किया गया था। लेकिन दिल्ली दंगे और उसके बाद कोरोना के कारण 2021 की प्रस्तावित जनगणना रुक गई और सीएए को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। बाद में 2023 में सरकार ने सीएए को लागू कर दिया, लेकिन इसके खिलाफ एक भी आवाज नहीं उठी।

    एनपीआर के तहत किसी भी स्थान पर छह महीने या उससे अधिक समय से रहने वाले व्यक्ति के आंकड़े जुटाए जाते हैं। यदि कोई व्यक्ति तत्काल वहां आया है और अगले छह महीने तक वहीं रहने वाला है, तो उसके भी आंकड़े एनपीआर के लिए लिए जाते हैं।

    इन आंकड़ों में उस व्यक्ति की शिक्षा, रोजगार, मूल स्थान जैसी जानकारियां शामिल है। सबसे पहले संप्रग सरकार में 2010 में एनपीआर के आंकड़े जुटाए गए थे। बाद में 2015 में इसे अद्यतन किया गया था और आधार से जोड़ा गया था। सरकारी योजनाओं का लाभ सभी वर्गों तक पहुंचाने और उसके लिए कार्यक्रम तय करने के लिए एनपीआर के अद्यतन आंकड़े को अहम माना जाता है।