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    अंतरिक्ष में भी युद्ध की आशंका, उस क्षेत्र में दोहरे उपयोग वाले मंच विकसित करने की जरूरत: सीडीएस अनिल चौहान

    By AgencyEdited By: Shashank Mishra
    Updated: Wed, 12 Apr 2023 12:09 AM (IST)

    अंतरिक्ष एक ऐसा क्षेत्र है जो भूमि समुद्र वायु और यहां तक कि साइबर सहित अन्य क्षेत्रों की क्षमताओं को बढ़ा रहा है। अंतरिक्ष का सैन्य उपयोग अहम विमर्श है जिससे हम अलग-थलग नहीं रह सकते हैं। सीडीएस ने रूस और चीन के उपग्रह-रोधी परीक्षणों का जिक्र किया।

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    सीडीएस ने कहा, भविष्य की चुनौतियां को देखते हुए भारत को अपने प्रयासों को और व्यापक करने की जरूरत।

    नई दिल्ली, पीटीआई। प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को अंतरिक्ष के सैन्यीकरण की होड़ को रेखांकित करते हुए अंतरिक्ष क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक को शामिल करने पर विशेष जोर देने के साथ ही दोहरे उपयोग वाले मंच विकसित करने की वकालत की। जनरल चौहान ने भारतीय रक्षा अंतरिक्ष संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए कहा कि अंतरिक्ष के शस्त्रीकरण की दिशा में निरंतर होड़ से अंतरिक्ष में युद्ध की आशंका पैदा हो गई है।

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    सीडीएस ने रूस और चीन के उपग्रहरोधी परीक्षणों का जिक्र किया

    तीन दिवसीय इस कार्यक्रम का आयोजन भारतीय अंतरिक्ष संघ (आइएसपीए) ने किया है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष एक ऐसा क्षेत्र है जो भूमि, समुद्र, वायु और यहां तक कि साइबर सहित अन्य क्षेत्रों की क्षमताओं को बढ़ा रहा है। अंतरिक्ष का सैन्य उपयोग अहम विमर्श है जिससे हम अलग-थलग नहीं रह सकते हैं। सीडीएस ने रूस और चीन के उपग्रहरोधी परीक्षणों का जिक्र किया एवं अंतरिक्ष क्षेत्र में आक्रामक और रक्षात्मक क्षमताओं के निर्माण के लिए भारत की जरूरत पर बल दिया।

    जनरल चौहान ने कहा कि मौजूदा और भविष्य की चुनौतियां को देखते हुए भारत को अपने प्रयासों को और व्यापक करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हम सब का मकसद अत्याधुनिक तकनीक को शामिल करने पर विशेष ध्यान देने के साथ ही दोहरे उपयोग वाले मंच विकसित करने की ओर होना चाहिए।