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    'युद्ध लड़ने के लिए तैयार रहें...', CDS अनिल चौहान का बड़ा बयान; क्या कुछ बड़ा होने वाला है?

    Updated: Mon, 22 Dec 2025 11:09 PM (IST)

    सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा कि भारत को आतंकवाद रोकने के लिए ऑपरेशन सिंदूर जैसे कम अवधि के संघर्षों के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने पड़ोसियों के सा ...और पढ़ें

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    आईआईटी बांबे में एक कार्यक्रम में पहुंचे थे जनरल चौहान (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने सोमवार को कहा कि आतंकवाद को रोकने के लिए भारत को ऑपरेशन सिंदूर जैसे कम अवधि एवं उच्च तीव्रता वाले संघर्ष, और अपने पड़ोसियों के साथ क्षेत्रीय विवादों के कारण लंबी अवधि के संघर्ष के लिए भी तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि मल्टी-डोमेन आपरेशन अब एक विकल्प नहीं, बल्कि एक आवश्यकता होगी जहां एक डोमेन का प्रभाव तुरंत दूसरे डोमेन पर महसूस किया जाएगा।

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    आईआईटी बांबे में एक कार्यक्रम के दौरान जनरल चौहान ने पाकिस्तान या चीन का नाम लिए बिना कहा, 'भारत को किस तरह के खतरों और चुनौतियों के लिए तैयार रहना चाहिए? यह दो तथ्यों पर आधारित होना चाहिए। हमारे दोनों विरोधी परमाणु हथियार संपन्न देश हैं। इसलिए हमें प्रतिरोध के उस स्तर का उल्लंघन नहीं होने देना चाहिए।'

    'आतंकवाद और ग्रे जोन युद्ध एक खतरा बना रहेगा'

    उन्होंने कहा कि भारत का अपने दोनों पड़ोसियों के साथ क्षेत्रीय विवाद है। सीडीएस ने कहा, ''आतंकवाद को रोकने के लिए हमें कम अवधि एवं उच्च तीव्रता वाले संघर्षों के लिए तैयार रहना चाहिए - ऑपरेशन सिंदूर जैसा ही कुछ। हमें भूमि केंद्रित लंबी अवधि के संघर्ष के लिए भी तैयार रहना चाहिए क्योंकि हमारे बीच भूमि विवाद हैं। फिर भी, हमें इससे बचने की कोशिश करनी चाहिए।''

    सीडीएस ने कहा कि आतंकवाद और ग्रे जोन युद्ध एक खतरा बना रहेगा, जिसके लिए रक्षात्मक के साथ-साथ आक्रामक प्रतिक्रिया की भी आवश्यकता है। ग्रे जोन का तात्पर्य आम तौर पर एक ऐसे अस्पष्ट स्थान से है जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों में प्रत्यक्ष संघर्ष और शांति के बीच मौजूद होता है।

    बहरहाल, उन्होंने कहा कि कई प्रौद्योगिकियां आज एक साथ युद्ध की प्रकृति और चरित्र को प्रभावित कर रही हैं। पहले कुछ ही प्रौद्योगिकियां इस बात को प्रभावित कर रही थीं कि युद्ध कैसे लड़े जाते हैं। अब एआइ, क्वांटम, एज कंप्यूटिंग, हाइपरसोनिक, रोबोटिक्स जैसी कई प्रौद्योगिकियां हो सकती हैं।

    (न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)