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सीबीआई ने फर्जी भ्रष्टाचार विरोधी संगठन चलाने के आरोप में दो लोगों के खिलाफ दर्ज की FIR, ठगी के आरोप

एसीएसी विंग आफ इंडिया को प्रतिष्ठित संगठन के तौर पर दिखाने के लिए धोखाधड़ी से इसका लेटरहेड रबर स्टांप पहचान पत्र और विजिटिंग कार्ड बनवा लिया। उन्होंने राज्य मंत्री डा. जितेंद्र सिंह पीएमओ और भारत सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग द्वारा जारी पत्र को भी फर्जी तरीके से बनाया।

By Amit SinghEdited By: Published: Sun, 03 Jul 2022 04:26 AM (IST)Updated: Sun, 03 Jul 2022 04:26 AM (IST)
सीबीआई ने फर्जी भ्रष्टाचार विरोधी संगठन चलाने के आरोप में दो लोगों के खिलाफ दर्ज की FIR, ठगी के आरोप
बड़ी हस्तियों के नाम पर ठगी करने के आरोप

नई दिल्ली, एएनआइ: भ्रष्टाचार रोधी फर्जी संगठन चलाने के दो आरोपितों के खिलाफ सीबीआइ ने शनिवार को प्राथमिकी दर्ज की। आरोपित रेनिंगस्टन सेल्स और आर विंसेंट राजू ने केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह और राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द, पूर्व प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढ़ा, प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के नाम पर कथित तौर पर धोखाधड़ी की।

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प्राथमिकी के अनुसार इस मामले में सीवीसी के पोर्टल के माध्यम से एक शिकायत प्राप्त हुई थी। इसके बाद मामले की जांच की गई। पूछताछ में पता चला कि 2017-2018 के दौरान रेनिंग्स्टन सेल्स और आर विंसेंट राजू ने मिलकर षड्यंत्र रचा। आरोपितों ने चेन्नई में एंटी करप्शन एंड एंटी क्राइम विंग आफ इंडिया (एसीएसी विंग आफ इंडिया) का क्षेत्रीय खोला। उन्होंने अपने मुख्यालय के तौर राष्ट्रीय राजधानी में जिस पते को दिखाया है वह अस्तित्व में नहीं है। मुख्यालय का पता फर्जी है। उन्होंने अनधिकृत रूप से भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढ़ा को एसीएसी विंग आफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में दिखाया।

एसीएसी विंग आफ इंडिया को प्रतिष्ठित संगठन के तौर पर दिखाने के लिए धोखाधड़ी से इस फर्जी संगठन का लेटरहेड, रबर स्टांप, पहचान पत्र और विजिटिंग कार्ड बनवा लिया। उन्होंने राज्य मंत्री डा. जितेंद्र सिंह, पीएमओ और भारत सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा जारी पत्र को भी फर्जी तरीके से बनाया। इसमें राज्य सरकारों के सभी मुख्य सचिवों को एसीएसी विंग के अध्यक्ष के रूप में लोढ़ा की नियुक्ति के बारे में सूचित किया गया था।

आरोपितों ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द द्वारा आरएम लोढ़ा को संबोधित जाली पत्र का भी इस्तेमाल किया। इस पत्र में उन्हें इस संगठन का अध्यक्ष बनने पर बधाई दी गई थी। उन्होंने एंटी करप्शन एंड एंटी क्राइम विंग आफ इंडिया में जाली प्रमाणपत्र का भी इस्तेमाल किया जिसमें तमिलनाडु में पंजीकरण के महानिरीक्षक द्वारा कथित रूप से जारी पंजीकरण प्रमाण, सीवीसी द्वारा जारी प्रमाण पत्र शामिल हैं। यह भी पता चला है कि आरोपितों ने धोखाधड़ी से चेन्नई में इंडियन बैंक में एंटी करप्शन एंड एंटी क्राइम विंग आफ इंडिया के नाम से एक चालू खाता खोला और इसके अध्यक्ष के रूप में आरएम लोढ़ा के नाम का उपयोग करके एक जाली प्रस्ताव संलग्न किया।

आरोपितों ने उपरोक्त फर्जी दस्तावेज को दिखाकर लोगों को सदस्यता शुल्क के बदले इस संगठन का सदस्य और पदाधिकारी नियुक्त किया। 1,000 रुपये से लेकर 1,00,000 रुपये प्रति सदस्यता/अधिकारी शुल्क के साथ उन्होंने लगभग 25 लाख रुपये जमा किए और उसे उक्त चालू खाते में जमा कर दिया। इसके बाद धोखाधड़ी से 10,75,044 रुपये की राशि का इस्तेमाल अपने निजी इस्तेमाल के लिए किया। सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और मामले की विस्तृत जांच के आदेश दे दिए गए हैं। आरोपितों को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा।


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